Tuesday, October 19, 2021

कार्तिक मास 2021

 

हिंदू धर्म में हर महीने का अलग-अलग महत्व होता है। लेकिन कार्तिक मास की महिमा बेहद खास मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास आठवां महीना होता है। इस साल कार्तिक मास की शुरुआत 21 अक्टूबर 2021 से हो रही है, जो कि 19 नवंबर 2021 तक रहेगा।

स्कंद पुराण में कार्तिक मास के महत्व को विस्तार से बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, कार्तिक मास के समान अन्य कोई मास नहीं है। जिस तरह से वेद के समान कोई शास्त्र, गंगा के समान कोई तीर्थ और सतयुग के समान कोई युग नहीं है। कार्तिक मास को सबुद्धि, लक्ष्मी और मोक्ष प्राप्त कराने वाला महीना माना जाता है।


कार्तिक मास में तुलसी का रोपण और विवाह सर्वोत्तम होता है. यह महीना भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल समय होता है. इस महीने मे श्रद्धापूर्वक मां लक्ष्मी और नारायण की पूजा करने वाले जातकों को कभी धन की कमी नहीं होती.

तुलसी पूजन का है विशेष महत्व

कार्तिक मास में तुलसी पूजन का बड़ा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार जिन घरों में प्रतिदिन तुलसी पूजन होता है वहां पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की कृपा बनी रहती है। कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और सबसे पहले देवी तुलसी की पुकार सुनते हैं। इसलिए देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। इस मास में तुलसी के समीप दीप प्रज्वलित करने का विधान है।


दीपदान से होती है मनोकामना पूर्ण

मान्यता है कि कार्तिक माह में दीपदान करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में शरद पूर्णिमा से लेकर कार्तिक मास की पूर्णिमा तक दीपदान करने की परंपरा बतलाई गई है। कार्तिक मास में प्रतिदिन किसी मंदिर, पवित्र नदी, सरोवर या फिर घर पर तुलसी में दीपदान अवश्य करना चाहिए। इससे मानव जीवन का अंधकार दूर होता है और खुशियों की प्राप्ति होती है। दीपदान से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

दान से होती है पुण्यफल की प्राप्ति

शास्त्रों में कार्तिक मास को जप, तप, दान, धर्म का मास बतलाया गया है। इस मास में विशेष वस्तुओं का दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में अन्न दान, गौदान और निर्धनों और ब्राह्मणों को दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

Friday, August 27, 2021

नौकरी के लिए तांत्रिक उपाय


पीतल के लोटे में थोड़ा गंगाजल लेकर उसमे सोने या चांदी की कोई वस्तु डाल दें. इसके बाद इस लोटे को घर के ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्वी कोने में सिर से थोड़ी ऊंचाई पर रख दें. इस उपाय को करते हुए “ॐ गंगाधराय नम:” मंत्र का जाप करें इससे आपको नौकरी प्राप्त करने में काफी लाभ मिलेगा.चाहिए।

सूर्य उदय से पहले उठिये, स्नान करके शिवलिंग पर जल अर्पित कीजिये. फिर उगते सूर्य के दर्शन 10-15मिनिट कीजिये, उसके बाद गाय को हरा चारा दीजिये, मुक पक्षीशियों को सप्त अनाज खिला कर गली के आवारा कुत्तो को बिस्किट खिलाये, ऐसे 43दिन लगातार कीजिये, भोले की कृपा से आपकी नौकरी पक्की योग्यता अनुसार

Tuesday, August 10, 2021

सात वारों के देवताओं को प्रसन्न करने के कुछ आसान उपाय

 सात वारों के देवताओं को प्रसन्न करने के कुछ आसान उपाय-


सूर्य को प्रसन्न रखने के कुछ उपाय


सुबह मुंह को गीला रखकर सूर्य के सामने गायत्री मन्त्र या ओम् नाम का 10 या 28 बार जप करना चाहिए। घर में धूप और खुली हवा का प्रबंध, धूप सेंकना, बुजुर्गो के मन को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए। घर में गंगाजल या किसी कुदरती सोते का जल सहेजना चाहिए। संक्रान्ति, अमावस्या, पूर्णिमा, अष्टमी के दिन और दोनों वक्त मिलने के समय कलह, बहस, देर तक सोना और संभोग से बचें। इनसे सारे ग्रहों की अनुकूलता बनती है।


चंद्रमा को अनुकूल रखने के उपाय


सोमवार का पति चंद्रमा मन, विचार, भावुकता, चंचलता, आवेग और आवेश का प्रतीक है। चंद्र की अनुकूलता से मन पर नियंत्रण, निर्णय करने की सही दिशा और दिल के बजाए दिमाग से अधिक काम लेने की आदत बनती है। सोम जल का ग्रह होने से शिव को खास प्रिय है। इस दिन शिवजी की पूजा, आराधना करना उपयुक्त है। ध्यान रखें शिव की पूजा सदा माता पार्वती के साथ ही साम्बसदाशिव के रूप में ही सांसारिक सुखों के लिए अधिक फलदायी है। 


चंद्र को प्रसन्न रखने के कुछ तरीके ये हैं-


दूध, खीर, सेवई, मिठाई, पनीर, दान करना चाहिए और तारों की छांव या चांदनी में कुछ देर बैठना चाहिए।बड़, पीपल, गूलर की गोलियां, फल या जड़ घर में रखें। अपनी कुल प्रतिष्ठा, सम्पदा को संभालें। पानी का सेवन करना और माता-पिता से अलगाव या दूरी न रखना चन्द्रमा को प्रसन्न रखने का कारगर तरीका है। दूध में मुल्तानी मिट्टी, चोकर या बेसन मिला कर उबटन करें। किसी के सामने अपनी व्यथा किसी को ना सुनाए।


मंगल अनुकूलता के उपाय


मंगलवार का वारपति मंगल, युद्घ और हथियारों का ग्रह हैं। इसके देवता वीर हनुमान, एकदंत गणेश और मलय स्वामी हैं। हनुमान जी की पूजा, प्रसाद चढ़ाना, मंगल का व्रत रखना और इस दिन शाकाहार करना अच्छा है। हनुमान चालीसा का पाठ आसान और कारगर उपाय है।


अतिरिक्त शुभता के लिए-

अपने सगे भाई बहनों के लिए अपशब्द न कहें और स्त्रियों से बहस न करें।

मीठी सुहाल, पूए, चीले, पूरनपोली खाएं, खिलाएं और बांटें।

भाभियों से सामान्य व्यवहार रखें और कभी विकलांगों की सहायता करें।

नीम, बबूल का सेवन किसी तरह से करें और पेड़-पौधों की देखभाल करते रहें।


बुध की अनुकूलता के उपाय


बुधवार का वारपति बुध, बुद्धि, हास-परिहास, अभिनय और कला और वनस्पतियों का ग्रह है। इसके प्रधान देव विष्णु हैं। अत: विष्णु जी के किसी रूप की आराधना करना शुभ है। 

ओम् नमो भगवते वासुदेवाय या 

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेव।। का जप करना श्रेयस्कर है। 


मांस मदिरा, मानसिक हिंसा, पक्षियों को पालना,ससुराल से गहरे संबंध रखना आदि बातों से बचें।

वनस्पति, जड़ी-बूटी पाले प्रसाधन इस्तेमाल करना, सोना धारण करना, पौधे रखना, बहन बेटी और उनके परिवार जनों का आदर करना,केसर लगी मिठाई या केसरी हलुवा या मूंग दाल के पदार्थ खाना खिलाना शुभ है।

दादी को कोई भेंट देने, सांड को गुड़ रोटी खिलाने, केले और बताशे बांटने से बुध प्रसन्न रहता है।

स्नान जल में चावल डालना, पीपल में जल देना, हरी सब्जी शिवजी को भेंट करना, कभी पत्ते के दोने में कुछ खाना, कभी दान करना मंगलकारक है।


गुरु देव बृहस्पति की अनुकूलता के उपाय


गुरुवार का देवता संसार का सृजनहार ब्रह्मा है। अत: विवाह, संतान सुख, परिवार सुख, ज्ञान, वाणी और हुनर के साथ बड़प्पन अधिकार का स्वामी बृहस्पति है। इसके लिए सिर्फ ओम् नाम का जप करना काफी फायदेमंद है। 


अधिक शुभता के लिए-


किसी के साथ कपड़े शेयर न करें। चरित्र, जुबान और आचरण को मजबूत रखें।

हल्दी वाली रोटी, चने की दाल, पीला वस्त्र, घी, बूरे का सेवन वितरण करें।

कन्याओं का आदर करें।


दैत्य गुरु शुक्र की अनुकूलता के उपाय


शुक्रवार देवी के आधीन है।अत: दुर्गा पूजा, दीपक जलाना, खेतड़ी बोकर रखना, कन्यापूजन, करना और जालसाजी, झूठी गवाही से बचना अच्छा है। दुर्गाचालीसा आदि पढ़ना, खुशबू का प्रयोग, धूपबत्ती जलाना, साफ-सुथरा और आकर्षक बनने की कोशिश करना शुभ है।


शनि देव को अनुकूल बनाने के उपाय


शनिवार के अधिपति भैरव, हनुमान, महाकाली, नृसिंह हैं। भावनानुसार इनमें से किसी की पूजा आराधना करना अच्छे परिणाम देगा। बस्ती के बाहर किसी शिवमंदिर में पूजा करना भी लाभदायक है। अधिक शुभता के लिए- शनि मंदिर जाएँ शाम को पर शनि महाराज की आँखों की ओर ना देखें,चरणो में देखें पूजा करें दीपक जलाएँ 

मजदूरों, मेहनतकशों का दिल न दुखाना, जीवन में अनुशासन रखना, साफ-सुथरा रहना, रोज नहाना और हाथ-पैर, दाढ़ी, नाखूनों को साफ सलीकेदार रखना, तेल मालिश, शनि को खुश रखने की रामबाण दवा है।

Monday, August 9, 2021

शिव महापुराण में लिखे हैं मनोकामना पूर्ति के ये आसान उपाय

 शिव महापुराण में लिखे हैं मनोकामना पूर्ति के ये आसान उपाय


1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।

2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।

3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।

4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।

5. बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है।

6. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।

7. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।

8. शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।

9. शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।

10. यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है।

11. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

12. भगवान शिव की पूजा चमेली के फूल से करने पर वाहन सुख मिलता है।

13. अलसी के फूलों से शिव की पूजा करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।

14. शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।

15. बेला के फूल से पूजा करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।

16. जूही के फूल से भगवान शिव की पूजा करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।

17. कनेर के फूलों से भगवान शिव की पूजा करने से नए वस्त्र मिलते हैं।

18. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।

19. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।

20. लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजा में शुभ माना गया है।

Friday, March 26, 2021

नक्षत्रो का स्वभाव ,नक्षत्र भोजन ( क्या खाएं-क्या न खाएं ),क्या दान करें,नए वस्त्र धारण का प्रभाव ,क्या कार्य करें…

नक्षत्र संख्‍या में 27 हैं और एक राशि ढाई नक्षत्र से बनती है। नक्षत्र भी जातक का स्वभाव निर्धारित करते हैं———–

1. अश्विनी : बौद्धिक प्रगल्भता, संचालन शक्ति, चंचलता व चपलता इस जातक की विशेषता होती है।
इस नक्षत्र में वाहन खरीदना,यात्रा,शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से सुख की प्राप्ति और शुभता में वृद्धि होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- अग्नि, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- गुड और बिल्वफल/ बिल्वपत्र ;
इसमें स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य और स्थिरता वाले कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- आलू,सीताफल, उड़द ,जो, गुड का मालपुआ,…..
इस नक्षत्र में केसर का सेवन लाभकारी होता हे…….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए-मुली,मोगरी,इलायची,घी,हरे मुंग,कंदमूल,शक्करकंद,
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2. भरणी : स्वार्थी वृत्ति, स्वकेंद्रित होना व स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ न होना इस नक्षत्र के जातकों में दिखाई देता है।
इस नक्षत्र में कुंवा, तालाब खुदवाना, गणित-ज्योतिष कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से परेशानी में वृद्धि होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- अग्नि, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- नमक का
इसमें स्त्री और मित्र से सम्बंधित कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- तिल, तिल का तेल, चांवल …..
इस नक्षत्र में इलायची का सेवन लाभकारी होता हे…….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – दही, घी,आंवला, केसर,
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3. कृतिका : अति साहस, आक्रामकता, स्वकेंद्रित, व अहंकारी होना इस नक्षत्र के जातकों का स्वभाव है। इन्हें शस्त्र, अग्नि और वाहन से भय होता है।
इस नक्षत्र में कुंवा, तालाब खुदवाना, गणित-ज्योतिष कार्य,वस्त्र सिलवाना, शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से उस वस्त्र के फटने या दाग लगने की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- नमक का,
इसमें खुदाई, बिज रोपण (धान्य बुवाई ),जमीन,मकान(गृह) कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में लहसुन का सेवन लाभकारी होता हे……. दही, खीर, घी,उड़द,मिश्री,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – निम्बू, खीर, चांवल,तिल, हरी सब्जी,
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4. रोहिणी : प्रसन्न भाव, कलाप्रियता, मन की स्वच्छता व उच्च अभिरुचि इस नक्षत्र की विशेषता है।
इस नक्षत्र में राज्याभिषेक,मकान बनवाना,प्रथम व्यापार, शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से आर्थिक लाभ की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, छत ,अग्नि,
दान करें- तिल का,
इसमें व्यापार और हमेशा स्थिर रहने वाले ( कंट्रोल ) कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में घी, हरे मुंग का सेवन लाभकारी होता हे……सिंघाड़ा,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – खीर, आलू, आम, सीताफल,
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5. मृगराशि : बु्द्धिवादी व भोगवादी का समन्वय, तीव्र बुद्धि होने पर भी उसका उपयोग सही स्थान पर न होना इस नक्षत्र की विशेषता है।
इस नक्षत्र में यात्रा, वाहन,वस्त्र और गहने खरीदना,शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से वस्त्र फटने की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, गृह, सजावट, श्रंगार,
दान करें- तिल का,
इसमें हमेशा स्थिर रहने वाले ( कंट्रोल ) और कल्याणकारी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में इलायची और कस्तूरी का सेवन लाभकारी होता हे……
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए -करेला, कंदमूल, मुंग की दाल ,शकरकंद,निम्बू, सुगन्धित जल,
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6. आर्द्रा : ये जातक गुस्सैल होते हैं। निर्णय लेते समय द्विधा मन:स्थिति होती है, संशयी स्वभाव भी होता है
इस नक्षत्र में मकान बनवाना और राज्याभिषेक शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से स्वास्थ्य कमजोर संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,गृह,
दान करें- तिल का,गुड का
इसमें हमेशा मित्र और स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मक्खन और आम का सेवन लाभकारी होता हे……
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आंवला,तुरई, सिंघाड़ा, स्वादिष्ट और भरपेट भोजन
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7. पुनर्वसु : आदर्शवादी, सहयोग करने वाले व शांत स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। आध्‍यात्म में गहरी रुचि होती है।
इस नक्षत्र में मकान बनवाना,यात्रा, वाहन खरीदना,वस्त्र, सम्रद्धि के कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से धन-धान्य और कार्य में सफलता की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,छत ,
दान करें- तिल का,गुड का
इसमें जमीन खरीदना और बिज(धन्य) सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मीठी खीर, घी और कस्तूरी का सेवन लाभकारी होता हे……हरी सब्जी भी,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मोगरी, लहसुन, मुली, करेला
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8. अश्लेषा : जिद्‍दी व एक हद तक‍ अविचारी भी होते हैं। सहज विश्वास नहीं करते व ‘आ बैल मुझे मार’ की तर्ज पर स्वयं संकट बुला लेते हैं।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- नमक और गुड का….
इसमें पूजा,दान,ब्राह्मन,भोजन सम्बन्धी और मित्र सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;

नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में केसर,गुड,कमलगट्टा, शक्कर का सेवन लाभकारी होता हे….कंदमूल-शक्करकंद….,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – सीताफल,मिश्री,आम,सुगन्धित जल
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9. मघा : स्वाभिमानी, स्वावलंबी, उच्च महत्वाकांक्षी व सहज नेतृत्व के गुण इन जातकों का स्वभाव होता है।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, द्वार,गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- तिल और गुड का….
इसमें स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में केसर का सेवन लाभकारी होता हे….मुली, मोगरी,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आलू, कमलगट्टा,सीताफल,खीर,चांवल,तिल
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10. पूर्वा फाल्गुनी : श्रद्धालु, कलाप्रिय, रसिक वृत्ति व शौकीन होते हैं। ।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, द्वार,गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- तिल,नमक और गुड का….
इसमें स्थिर( कंट्रोल), कल्याणकारक सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आलू,उड़द, इलायची का सेवन लाभकारी होता हे….आंवला
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – सीताफल,आलू,खीर,तिल,खीर..
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11. उत्तरा फल्गुमी :—- ये संतुलित स्वभाव वाले होते हैं। व्यवहारशील व अत्यंत परिश्रमी होते हैं।
इस नक्षत्र में मकान बनवाना,मंदिर निर्माण,राज्याभिषेक जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से धन लाभ की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, द्वार,गृह,छत,अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,सजावट……
दान करें- नमक का….
इसमें दान, भोजन, पूजा, ब्रह्मण कार्यो को प्राथमिकता देवे; स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्य…….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आलू,उड़द,लहसुन का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए -खीर, निम्बू, दही, घी, सुगन्धित जल……..
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12. चित्रा : लिखने-पढ़ने में रुचि, शौकीन मिजाजी, भिन्न लिंगी व्यक्तियों का आकर्षण इन जातकों में झलकता है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीददारी–जेसे—मकान, गहने,वाहन,वस्त्र खरीदना जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण शुभ रहता हे……….
ध्यान रखें- द्वार,गृह,छत,लकड़ी,श्रंगार,सजावट……
दान करें- तिल का….
इसमें व्यापर, हमेशा स्थिर कार्यो को प्राथमिकता देवे; व्यापार, जमीं खोदना, बीजारोपण सम्बन्धी कार्य…….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मिंग की दल, कंदमूल, शक्करकंद…का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – करेला, कस्तूरी, मुली, मोगरी, इलायची………
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.13. स्वा‍ति : समतोल प्रकृति, मन पर नियंत्रण, समाधानी वृत्ति व दुख सहने व पचाने की क्षमता इनका स्वभाव है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीददारी–जेसे—वाहन,वस्त्र खरीदना जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से अर्थ लाभ, और मीठा भोजन प्राप्ति की संभावना हे………….
ध्यान रखें- द्वार,गृह,छत,लकड़ी,श्रंगार,सजावट……
दान करें- तिल का…गुड का…..
इसमें व्यापर, हमेशा स्थिर कार्यो को प्राथमिकता देवे; हेल्दी,कल्याणकारक… सम्बन्धी कार्य…….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आम,केला, तुरई …का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – हरे मुंग, मक्खन , कंदमूल ,घी,शक्करकंद……………
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14. विशाखा : स्वार्थी, जिद्‍दी, हेकड़ीखोर व्यक्ति होते हैं। हर तरह से अपना काम निकलवाने में माहिर होते हैं।।
इस नक्षत्र में गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-( कुवां, तालाब, ), हवन ,संग्रह, वस्त्र सम्बन्धी कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से मन-सम्मान और दबदबा बढ़ने की संभावना हे………….
ध्यान रखें- द्वार,गृह,श्रंगार,सजावट……
दान करें- ..गुड का…..
इस नक्षत्र में दान,पूजा, ब्राह्मन कर्म भोजन जेसे कार्यो को प्राथमिकता देवे; मित्र और स्त्री …सम्बन्धी कार्य…….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में हरी सब्जी , आंवले की सब्जी , करेला …का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – घी,शक्करकंद, दही, मिश्री, कंदमूल, मीठी खीर मिश्रित धान्य ………
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15. अनुराधा : कुटुंबवत्सल, श्रृंगार प्रिय, मधुरवाणी, सन्मार्गी, शौकीन होना इन जातकों का स्वभाव है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीद दरी सम्बन्धी कार्य जेसे- वाहन,वस्त्र, गहने की …शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से मित्र से मुलाकात की संभावना हे………….
ध्यान रखें- — द्वार,श्रंगार,सजावट…अग्नि……
दान करें- ..नमक का ….
इस नक्षत्र में मित्र और स्त्री …सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दाख( किशमिश )मिश्रित धान्य, भरपेट स्वादिष्ट भोजन ..का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मीठी खीर,तिल, चांवल, कमलगट्टा की और हरी सब्जी …………
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16. ज्येष्ठा : स्वभाव निर्मल, खुशमिजाज मगर शत्रुता को न भूलने वाले, छिपकर वार करने वाले होते हैं।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीद दरी जेसे- वाहन की …शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से मन विचलित रहने की संभावना हे………….
ध्यान रखें- — द्वार,श्रंगार,सजावट…अग्नि……
दान करें- ..नमक का …गुड का……
इस नक्षत्र में स्थिरता .सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में कंदमूल, शक्करकंद, कद्दू, मिश्री ..का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मीठी खीर,आम, आलू,सीताफल, कमलगट्टा ………
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17. मूल : प्रारंभिक जीवन कष्टकर, परिवार से दुखी, राजकारण में यश, कलाप्रेमी-कलाकार होते हैं।
इस नक्षत्र में …गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-कुंवा,तालाब….शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से कलह रहने या पानी में डूबने की आशंका हे………….
ध्यान रखें- — द्वार,.अग्नि……
दान करें- ..नमक का …गुड का……तिल का…
इस नक्षत्र में दान,पूजा, भोजन, ब्राहम्ण सम्बन्धी और मित्र व् स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मुली, मोगरी, आलू, सीताफल, .का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मुंग की दाल, केसर, घी, मीठी खीर, सुगन्धित जल……….
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18. पूर्वाषाढ़ा : शांत, धीमी गति वाले, समाधानी व ऐश्वर्य प्रिय व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
इस नक्षत्र में …गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-कुंवा,तालाब….शुभ हे….शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी/ रोग की आशंका हे………….
ध्यान रखें- —अग्नि……
दान करें- ..नमक का …गुड का……तिल का…
इस नक्षत्र में जमीं खुदाई, गृह, कल्याण करक.. कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में निम्बू, आंवला, मिश्री….तिल, चांवल…का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – सिंघाड़ा, इलायची, मक्खन, भरपेट स्वादिष्ट भोजन ………
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19 -. उत्तराषाढ़ा : विनयशील, बुद्धिमान, आध्यात्म में रूचि वाले होते हैं। सबको साथ लेकर चलते हैं।
इस नक्षत्र में …मंदिर, मकान, बनाना ..शुभ हे…राज्याभिषेक और सर्प कार्य से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से मीठा भोजन प्राप्ति की संभावना हे……………
ध्यान रखें- —पानी, राजपाट, श्रंगार का……
दान करें- ……तिल का…
इस नक्षत्र में स्थिर ( कंट्रोल), जमीन खुदाई और व्यापारिक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में निम्बू, मिश्री..बिल्वपत्र ..घी, दहीं, खीर …का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – करेला, इलायची, कस्तूरी, लहसुन ……
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20. श्रवण : सन्मार्गी, श्रद्धालु, परोपकारी, कतृत्ववान होना इन जातकों का स्वभाव है।
इस नक्षत्र में …मकान बनाना ..शुभ हे…विजय, राज्याभिषेक और शत्रु नाशक कार्य से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से नेत्र रोग की संभावना हे……………
ध्यान रखें- —पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी का……
दान करें- ……तिल का…नमक का…
इस नक्षत्र में स्थिर ( कंट्रोल), कल्याण कारक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दूध, खीर, खांड, घी, हरे मुंग .का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – सिंघाड़ा, शक्करकंद, कंदमूल,दहीं …….
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21. धनिष्ठा : गुस्सैल, कटुभाषी व असंयमी होते हैं। हर वक्त अहंकार आड़े आता है।
इस नक्षत्र में …मकान बनाना ..शुभ हे..राज्याभिषेक से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से आर्थिक लाभ की संभावना हे……………
ध्यान रखें- —पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी , द्वार,का……
दान करें- ……नमक का…
इस नक्षत्र मेंदान, भोजन, पूजा ब्रह्मण कार्य और मित्र तथ स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में कस्तूरी, इलायची, मुंग, चांवल. करेला, कंदमूल, शक्करकंद का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – हरी सब्जी, मुंग की दल, खीर ….
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22. शतभिषा :- रसिक मिजाज, व्यसनाधीनता व कामवासना की ओर अधिक झुकाव होता है। समयानुसार आचरण नहीं करते।
इस नक्षत्र में …मकान बनाना ..शुभ हे..राज्याभिषेक से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अशुभ सूचना की आशंका/संभावना हे……………
ध्यान रखें- —पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी , द्वार,का……
दान करें- ……नमक का..तिल का…..
इस नक्षत्र में जमीं खरीदना, गृह/ कल्याण करक कार्य और धान्य( बीजारोपण ) सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मक्खन और तुरई , तुम्बे के बीज का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आम, खीर …
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23. पूर्व भाद्रपद : बुद्धिमान, जोड़-तोड़ में निपुण, संशोधक वृत्ति, समय के साथ चलने में कुशल होते हैं।
इस नक्षत्र में …ज्योतिष, गणित, खुदाई कार्य- तालाब, कुंवा से शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अशुभ सूचना की आशंका/संभावना हे…जल स्रोत से खतरा— तालाब, कुंवा, नदी, …………
ध्यान रखें- —व्यापर, द्वार, लकड़ी, ……
दान करें- ……नमक का….
इस नक्षत्र में पूजा पाठ, गृह निर्माण / विकास, स्थिर और कल्याणकारी कार्य को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दही, करेला, का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – हरी सब्जी, मुंग की दाल, नींबू, ..घी, मीठी खीर ,
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24. उत्तरा भाद्रपद : मोहक चेहरा, बातचीत में कुशल, चंचल व दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं।
इस नक्षत्र में …मकान, मंदिर निर्माण, राज्याभिषेक, स्थिर और सर्वकार्य से लाभ
नए वस्त्र धारण से पुत्र लाभ …..
ध्यान रखें- —व्यापर, द्वार, लकड़ी, ……
दान करें- ……नमक का….
इस नक्षत्र में पूजा पाठ, दान, भोजन ,ब्रह्मण कर्म. स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ….कपूर का प्रयोग करें….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में खीर, उड़द का बड़ा, स्वादिष्ट भरपेट भोजन का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आंवला, सिंघाड़ा, मक्खन, मिश्रित धान्य , ..
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25. रेवती : सत्यवादी, निरपेक्ष, विवेकवान होते हैं। सतत जन कल्याण करने का ध्यास इनमें होता है
इस नक्षत्र में …यात्रा, वाहन खरीद दरी से लाभ
नए वस्त्र धारण से अचानक धन / अर्थ लाभ …
ध्यान रखें- —व्यापार, द्वार, लकड़ी, ……
दान करें- ……गुड का….
इस नक्षत्र में व्यापर, स्थिर कार्य , जमीन खुदाई और बीज रोपण सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दही, कमलगट्टा और सुगन्धित जल का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मुली, मोगरी, इलायची, लहसुन, कंदमूल, शक्करकंद, कस्तूरी…
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26 –. हस्त : कल्पनाशील, संवेदनशील, सुखी, समाधानी व सन्मार्गी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
इस नक्षत्र में …यात्रा, वाहन खरीद दरी से लाभ , मकान बनवाना, वस्त्र और सम्रद्धि के कार्य
नए वस्त्र धारण से …कार्य में सफलता प्राप्त होती हे….
ध्यान रखें- —अग्नि. द्वार., सजावट,..श्रंगार……..
दान करें- ……गुड का….नमक का….
इस नक्षत्र में ——व्यापर, स्थिर कार्य , जमीन खुदाई और बीज रोपण सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में घी , हरे मुंग का, सिंघाड़ा का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आंवला, मक्खन, खीर, भरपेट स्वादिष्ट भोजन…..
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27. पुष्य : सन्मर्गी, दानप्रिय, बुद्धिमान व दानी होते हैं। समाज में पहचान बनाते हैं।
इस नक्षत्र में …मकान बनवाना, वस्त्र और गहने बनवाना, राज्याभिषेक करवाना..जेसे कार्य करवाना और सम्रद्धि के कार्य करवाना चाहिए…
नए वस्त्र धारण से …इच्छाओ की पूर्ति और ..अर्थ लाभ की प्राप्ति होती हे…..
ध्यान रखें- —जल, द्वार., व्यापर, लकड़ी, चोखट, छत …
दान करें- ……..नमक का….
इस नक्षत्र में ——व्यापर, स्थिर कार्य , कल्याण कारक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में खीर, दूध ,मिश्र धन्य का भोजन / सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – भरपेट स्वादिष्ट भोजन.., इलायची, कंदमूल, शक्करकंद, तुरई, …

Wednesday, March 24, 2021

करें ये आसान उपाय, बढ़ती रहेगी इनकम

वर्तमान समय में जिस तरह मंहगाई बढ़ रही है, इनकम उसकी अपेक्षा बहुत कम है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके आय का कोई निश्चित स्त्रोत नहीं होता। ऐसे में उनके लिए जीवन-यापन एक बड़ी समस्या बन जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुछ साधारण उपाय विधि-विधान पूर्वक किए जाएं तो इनकम का स्त्रोत स्थाई हो जाएगा, साथ ही उसमें बढ़ोत्तरी भी होगी।

उपाय-1
शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को यथाशक्ति (जितना संभव हो) चावल भगवान शिव के मंदिर ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों में जितने चावल आ जाएं उतने शिवजी को अर्पण कर दें और भगवान शिव से धन प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। जितने चावल के दानें शिवजी को अर्पण किए जाते हैं, उसका उतने ही हजार गुना फल मिलता है। अब बचा हुआ चावल गरीबों में बांट दें। यह इनकम बढ़ाने का अचूक उपाय है।


उपाय-2
धन प्राप्ति के उपायों में कई वस्तुओं का उपयोग भी किया जाता है, जो माता लक्ष्मी को प्रिय हैं। ऐसी ही एक वस्तु है समुद्र से निकलने वाली कौड़ियां। दिखने में यह बहुत साधारण होती है लेकिन इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है। इसके उपायों से इनकम बढ़ने लगती है-
1. चांदी के सिक्कों के साथ यदि कौड़ियां धन स्थान पर रखी जाएं तो निश्चित ही धन लाभ होता है।


उपाय-3
रास्ते में जाते समय या कहीं और कोई किन्नर नजर आए तो उसे अपनी इच्छा के अनुसार कुछ रुपए आदि भेंट करें। संभव हो तो उसे भोजन भी कराएं। इसके बाद उस किन्नर से आप एक सिक्का (उसके पास रखा हुआ, आपके द्वारा दिया हुआ नहीं) मांग लें। इस सिक्के को अपने गल्ले, कैश बॉक्स या धन स्थान पर रख दें। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी सेविंग बढ़ जाएगी और साथ में इनकम भी।

कुंडली से जाने कि कौन सी दिशा से जॉब आदि मे प्रगति हो सकती हैं


कुंडली से जान सकते हैं कि कौन सी दिशा से जॉब आदि मे प्रगति हो सकती हैं।


हमारे देखने मैं आया है की हम जिस स्थान पर जन्म लेते है वहाँ हमारी प्रगति नहीं होती हैं। परन्तु उस स्थान से दूर जाते ही हमारी प्रगति होने लगती हैैं। इसे जानने के लिए कुंडली देखना जरूरी हो जाता हैं ।

दशम भाव में जो राशि होती है, उसके अनुसार जॉब आदि की दिशा तय हो जाती है।


दशम भाव में अगर मेष, सिंह, धनु राशि हो तो पूर्व दिशा मैं हमारी प्रगति हो सकती हैं।

दशम भाव में अगर वृषभ, कन्या, मकर राशि हो तो दक्षिण दिशा मैं हमारी प्रगति हो सकती हैं।

दशम भाव में अगर मिथुन, तुला, कुंभ राशि हो तो पश्चिम दिशा मैं हमारी प्रगति हो सकती हैं।

दशम भाव में अगर कर्क, वृश्चिक, मीन राशि हो तो उत्तर दिशा मैं हमारी प्रगति हो सकती हैं।

दशम भाव से ग्रहों की दिशाएँ :

अगर दशम भाव मैं ग्रह हो तो उसके अनुसार दिशा तय की जा सकती हैं जो इस प्रकार से हैं -

ग्रहों में सूर्य ईस्ट दिशा को बताता हैं।

ग्रहों में चंद्र नॉर्थ-वेस्ट (वायव्य) को बताता हैं।

ग्रहों में मंगल साउथ को बताता हैं।

ग्रहों में
 बुध नॉर्थ को बताता हैं।

ग्रहों में गुरु नॉर्थ-ईस्ट को बताता हैं।

ग्रहों में शुक्र साउथ ईस्ट को बताता हैं।

ग्रहों में शनि वेस्ट को बताता हैं।

ग्रहों में राहु-केतु साउथ-वेस्ट को बताता हैं।

इस प्रकार से हम कुंडली देख कर जान सकते हैं कि हमारे लिए कौनसी दिशा से जॉब आदि मे प्रगति हो सकती हैं।


कार्तिक मास 2021

  हिंदू धर्म में हर महीने का अलग-अलग महत्व होता है। लेकिन कार्तिक मास की महिमा बेहद खास मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास आठ...