!! जब ते राम ब्याही घर आये, नित नव मंगल मोद बधाये!!
!!भुवन चारी दस बूधर भारी, सूकृत मेघ वर्षहिं सूखवारी !!
!!रिद्धी सिद्धी संपति नदी सूहाई , उमगि अव्धि अम्बूधि तहं आई!!
!!मणिगुर पूर नर नारी सुजाती, शूचि अमोल सुंदर सब भाँति !!
!! कही न जाई कछू इति प्रभूति , जनू इतनी विरंची करतुती !!
!!सब विधि सब पूरलोग सुखारी, रामचन्द्र मुखचंद्र निहारी!!
!! जब ते राम ब्याही घर आये, नित नव मंगल मोद बधाये!!
यह चौपाई श्री तुलसीदासकृत *रामचरितमानस* के दूसरे सोपन *श्री अयोध्याकाण्ड* में वर्णित है !यह चौपाई श्री राम जी तथा सीता माता के विवाहोपरान्त श्री अयोध्या धाम आने के समय की है !
*एसी मान्यता है इस चौपाई से घर में सुख समृद्धि आती है ।*
!!भुवन चारी दस बूधर भारी, सूकृत मेघ वर्षहिं सूखवारी !!
!!रिद्धी सिद्धी संपति नदी सूहाई , उमगि अव्धि अम्बूधि तहं आई!!
!!मणिगुर पूर नर नारी सुजाती, शूचि अमोल सुंदर सब भाँति !!
!! कही न जाई कछू इति प्रभूति , जनू इतनी विरंची करतुती !!
!!सब विधि सब पूरलोग सुखारी, रामचन्द्र मुखचंद्र निहारी!!
!! जब ते राम ब्याही घर आये, नित नव मंगल मोद बधाये!!
यह चौपाई श्री तुलसीदासकृत *रामचरितमानस* के दूसरे सोपन *श्री अयोध्याकाण्ड* में वर्णित है !यह चौपाई श्री राम जी तथा सीता माता के विवाहोपरान्त श्री अयोध्या धाम आने के समय की है !
*एसी मान्यता है इस चौपाई से घर में सुख समृद्धि आती है ।*
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