Friday, March 26, 2021
नक्षत्रो का स्वभाव ,नक्षत्र भोजन ( क्या खाएं-क्या न खाएं ),क्या दान करें,नए वस्त्र धारण का प्रभाव ,क्या कार्य करें…
1. अश्विनी : बौद्धिक प्रगल्भता, संचालन शक्ति, चंचलता व चपलता इस जातक की विशेषता होती है।
इस नक्षत्र में वाहन खरीदना,यात्रा,शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से सुख की प्राप्ति और शुभता में वृद्धि होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- अग्नि, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- गुड और बिल्वफल/ बिल्वपत्र ;
इसमें स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य और स्थिरता वाले कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- आलू,सीताफल, उड़द ,जो, गुड का मालपुआ,…..
इस नक्षत्र में केसर का सेवन लाभकारी होता हे…….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए-मुली,मोगरी,इलायची,घी,हरे मुंग,कंदमूल,शक्करकंद,
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2. भरणी : स्वार्थी वृत्ति, स्वकेंद्रित होना व स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ न होना इस नक्षत्र के जातकों में दिखाई देता है।
इस नक्षत्र में कुंवा, तालाब खुदवाना, गणित-ज्योतिष कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से परेशानी में वृद्धि होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- अग्नि, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- नमक का
इसमें स्त्री और मित्र से सम्बंधित कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- तिल, तिल का तेल, चांवल …..
इस नक्षत्र में इलायची का सेवन लाभकारी होता हे…….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – दही, घी,आंवला, केसर,
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3. कृतिका : अति साहस, आक्रामकता, स्वकेंद्रित, व अहंकारी होना इस नक्षत्र के जातकों का स्वभाव है। इन्हें शस्त्र, अग्नि और वाहन से भय होता है।
इस नक्षत्र में कुंवा, तालाब खुदवाना, गणित-ज्योतिष कार्य,वस्त्र सिलवाना, शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से उस वस्त्र के फटने या दाग लगने की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- नमक का,
इसमें खुदाई, बिज रोपण (धान्य बुवाई ),जमीन,मकान(गृह) कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में लहसुन का सेवन लाभकारी होता हे……. दही, खीर, घी,उड़द,मिश्री,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – निम्बू, खीर, चांवल,तिल, हरी सब्जी,
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4. रोहिणी : प्रसन्न भाव, कलाप्रियता, मन की स्वच्छता व उच्च अभिरुचि इस नक्षत्र की विशेषता है।
इस नक्षत्र में राज्याभिषेक,मकान बनवाना,प्रथम व्यापार, शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से आर्थिक लाभ की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, छत ,अग्नि,
दान करें- तिल का,
इसमें व्यापार और हमेशा स्थिर रहने वाले ( कंट्रोल ) कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में घी, हरे मुंग का सेवन लाभकारी होता हे……सिंघाड़ा,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – खीर, आलू, आम, सीताफल,
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5. मृगराशि : बु्द्धिवादी व भोगवादी का समन्वय, तीव्र बुद्धि होने पर भी उसका उपयोग सही स्थान पर न होना इस नक्षत्र की विशेषता है।
इस नक्षत्र में यात्रा, वाहन,वस्त्र और गहने खरीदना,शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से वस्त्र फटने की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, गृह, सजावट, श्रंगार,
दान करें- तिल का,
इसमें हमेशा स्थिर रहने वाले ( कंट्रोल ) और कल्याणकारी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में इलायची और कस्तूरी का सेवन लाभकारी होता हे……
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए -करेला, कंदमूल, मुंग की दाल ,शकरकंद,निम्बू, सुगन्धित जल,
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6. आर्द्रा : ये जातक गुस्सैल होते हैं। निर्णय लेते समय द्विधा मन:स्थिति होती है, संशयी स्वभाव भी होता है
इस नक्षत्र में मकान बनवाना और राज्याभिषेक शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से स्वास्थ्य कमजोर संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,गृह,
दान करें- तिल का,गुड का
इसमें हमेशा मित्र और स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मक्खन और आम का सेवन लाभकारी होता हे……
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आंवला,तुरई, सिंघाड़ा, स्वादिष्ट और भरपेट भोजन
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7. पुनर्वसु : आदर्शवादी, सहयोग करने वाले व शांत स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। आध्यात्म में गहरी रुचि होती है।
इस नक्षत्र में मकान बनवाना,यात्रा, वाहन खरीदना,वस्त्र, सम्रद्धि के कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से धन-धान्य और कार्य में सफलता की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,छत ,
दान करें- तिल का,गुड का
इसमें जमीन खरीदना और बिज(धन्य) सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मीठी खीर, घी और कस्तूरी का सेवन लाभकारी होता हे……हरी सब्जी भी,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मोगरी, लहसुन, मुली, करेला
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8. अश्लेषा : जिद्दी व एक हद तक अविचारी भी होते हैं। सहज विश्वास नहीं करते व ‘आ बैल मुझे मार’ की तर्ज पर स्वयं संकट बुला लेते हैं।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- नमक और गुड का….
इसमें पूजा,दान,ब्राह्मन,भोजन सम्बन्धी और मित्र सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में केसर,गुड,कमलगट्टा, शक्कर का सेवन लाभकारी होता हे….कंदमूल-शक्करकंद….,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – सीताफल,मिश्री,आम,सुगन्धित जल
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9. मघा : स्वाभिमानी, स्वावलंबी, उच्च महत्वाकांक्षी व सहज नेतृत्व के गुण इन जातकों का स्वभाव होता है।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, द्वार,गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- तिल और गुड का….
इसमें स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में केसर का सेवन लाभकारी होता हे….मुली, मोगरी,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आलू, कमलगट्टा,सीताफल,खीर,चांवल,तिल
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10. पूर्वा फाल्गुनी : श्रद्धालु, कलाप्रिय, रसिक वृत्ति व शौकीन होते हैं। ।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, द्वार,गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- तिल,नमक और गुड का….
इसमें स्थिर( कंट्रोल), कल्याणकारक सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आलू,उड़द, इलायची का सेवन लाभकारी होता हे….आंवला
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – सीताफल,आलू,खीर,तिल,खीर..
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11. उत्तरा फल्गुमी :—- ये संतुलित स्वभाव वाले होते हैं। व्यवहारशील व अत्यंत परिश्रमी होते हैं।
इस नक्षत्र में मकान बनवाना,मंदिर निर्माण,राज्याभिषेक जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से धन लाभ की संभावना होती हे…
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, द्वार,गृह,छत,अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,सजावट……
दान करें- नमक का….
इसमें दान, भोजन, पूजा, ब्रह्मण कार्यो को प्राथमिकता देवे; स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्य…….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आलू,उड़द,लहसुन का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए -खीर, निम्बू, दही, घी, सुगन्धित जल……..
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12. चित्रा : लिखने-पढ़ने में रुचि, शौकीन मिजाजी, भिन्न लिंगी व्यक्तियों का आकर्षण इन जातकों में झलकता है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीददारी–जेसे—मकान, गहने,वाहन,वस्त्र खरीदना जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण शुभ रहता हे……….
ध्यान रखें- द्वार,गृह,छत,लकड़ी,श्रंगार,सजावट……
दान करें- तिल का….
इसमें व्यापर, हमेशा स्थिर कार्यो को प्राथमिकता देवे; व्यापार, जमीं खोदना, बीजारोपण सम्बन्धी कार्य…….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मिंग की दल, कंदमूल, शक्करकंद…का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – करेला, कस्तूरी, मुली, मोगरी, इलायची………
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.13. स्वाति : समतोल प्रकृति, मन पर नियंत्रण, समाधानी वृत्ति व दुख सहने व पचाने की क्षमता इनका स्वभाव है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीददारी–जेसे—वाहन,वस्त्र खरीदना जेसे कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से अर्थ लाभ, और मीठा भोजन प्राप्ति की संभावना हे………….
ध्यान रखें- द्वार,गृह,छत,लकड़ी,श्रंगार,सजावट……
दान करें- तिल का…गुड का…..
इसमें व्यापर, हमेशा स्थिर कार्यो को प्राथमिकता देवे; हेल्दी,कल्याणकारक… सम्बन्धी कार्य…….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आम,केला, तुरई …का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – हरे मुंग, मक्खन , कंदमूल ,घी,शक्करकंद……………
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14. विशाखा : स्वार्थी, जिद्दी, हेकड़ीखोर व्यक्ति होते हैं। हर तरह से अपना काम निकलवाने में माहिर होते हैं।।
इस नक्षत्र में गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-( कुवां, तालाब, ), हवन ,संग्रह, वस्त्र सम्बन्धी कार्य शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से मन-सम्मान और दबदबा बढ़ने की संभावना हे………….
ध्यान रखें- द्वार,गृह,श्रंगार,सजावट……
दान करें- ..गुड का…..
इस नक्षत्र में दान,पूजा, ब्राह्मन कर्म भोजन जेसे कार्यो को प्राथमिकता देवे; मित्र और स्त्री …सम्बन्धी कार्य…….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में हरी सब्जी , आंवले की सब्जी , करेला …का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – घी,शक्करकंद, दही, मिश्री, कंदमूल, मीठी खीर मिश्रित धान्य ………
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15. अनुराधा : कुटुंबवत्सल, श्रृंगार प्रिय, मधुरवाणी, सन्मार्गी, शौकीन होना इन जातकों का स्वभाव है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीद दरी सम्बन्धी कार्य जेसे- वाहन,वस्त्र, गहने की …शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से मित्र से मुलाकात की संभावना हे………….
ध्यान रखें- — द्वार,श्रंगार,सजावट…अग्नि……
दान करें- ..नमक का ….
इस नक्षत्र में मित्र और स्त्री …सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दाख( किशमिश )मिश्रित धान्य, भरपेट स्वादिष्ट भोजन ..का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मीठी खीर,तिल, चांवल, कमलगट्टा की और हरी सब्जी …………
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16. ज्येष्ठा : स्वभाव निर्मल, खुशमिजाज मगर शत्रुता को न भूलने वाले, छिपकर वार करने वाले होते हैं।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीद दरी जेसे- वाहन की …शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से मन विचलित रहने की संभावना हे………….
ध्यान रखें- — द्वार,श्रंगार,सजावट…अग्नि……
दान करें- ..नमक का …गुड का……
इस नक्षत्र में स्थिरता .सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में कंदमूल, शक्करकंद, कद्दू, मिश्री ..का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मीठी खीर,आम, आलू,सीताफल, कमलगट्टा ………
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17. मूल : प्रारंभिक जीवन कष्टकर, परिवार से दुखी, राजकारण में यश, कलाप्रेमी-कलाकार होते हैं।
इस नक्षत्र में …गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-कुंवा,तालाब….शुभ हे….
नए वस्त्र धारण से कलह रहने या पानी में डूबने की आशंका हे………….
ध्यान रखें- — द्वार,.अग्नि……
दान करें- ..नमक का …गुड का……तिल का…
इस नक्षत्र में दान,पूजा, भोजन, ब्राहम्ण सम्बन्धी और मित्र व् स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मुली, मोगरी, आलू, सीताफल, .का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मुंग की दाल, केसर, घी, मीठी खीर, सुगन्धित जल……….
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18. पूर्वाषाढ़ा : शांत, धीमी गति वाले, समाधानी व ऐश्वर्य प्रिय व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
इस नक्षत्र में …गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-कुंवा,तालाब….शुभ हे….शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी/ रोग की आशंका हे………….
ध्यान रखें- —अग्नि……
दान करें- ..नमक का …गुड का……तिल का…
इस नक्षत्र में जमीं खुदाई, गृह, कल्याण करक.. कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में निम्बू, आंवला, मिश्री….तिल, चांवल…का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – सिंघाड़ा, इलायची, मक्खन, भरपेट स्वादिष्ट भोजन ………
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19 -. उत्तराषाढ़ा : विनयशील, बुद्धिमान, आध्यात्म में रूचि वाले होते हैं। सबको साथ लेकर चलते हैं।
इस नक्षत्र में …मंदिर, मकान, बनाना ..शुभ हे…राज्याभिषेक और सर्प कार्य से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से मीठा भोजन प्राप्ति की संभावना हे……………
ध्यान रखें- —पानी, राजपाट, श्रंगार का……
दान करें- ……तिल का…
इस नक्षत्र में स्थिर ( कंट्रोल), जमीन खुदाई और व्यापारिक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में निम्बू, मिश्री..बिल्वपत्र ..घी, दहीं, खीर …का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – करेला, इलायची, कस्तूरी, लहसुन ……
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20. श्रवण : सन्मार्गी, श्रद्धालु, परोपकारी, कतृत्ववान होना इन जातकों का स्वभाव है।
इस नक्षत्र में …मकान बनाना ..शुभ हे…विजय, राज्याभिषेक और शत्रु नाशक कार्य से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से नेत्र रोग की संभावना हे……………
ध्यान रखें- —पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी का……
दान करें- ……तिल का…नमक का…
इस नक्षत्र में स्थिर ( कंट्रोल), कल्याण कारक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दूध, खीर, खांड, घी, हरे मुंग .का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – सिंघाड़ा, शक्करकंद, कंदमूल,दहीं …….
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21. धनिष्ठा : गुस्सैल, कटुभाषी व असंयमी होते हैं। हर वक्त अहंकार आड़े आता है।
इस नक्षत्र में …मकान बनाना ..शुभ हे..राज्याभिषेक से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से आर्थिक लाभ की संभावना हे……………
ध्यान रखें- —पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी , द्वार,का……
दान करें- ……नमक का…
इस नक्षत्र मेंदान, भोजन, पूजा ब्रह्मण कार्य और मित्र तथ स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में कस्तूरी, इलायची, मुंग, चांवल. करेला, कंदमूल, शक्करकंद का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – हरी सब्जी, मुंग की दल, खीर ….
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22. शतभिषा :- रसिक मिजाज, व्यसनाधीनता व कामवासना की ओर अधिक झुकाव होता है। समयानुसार आचरण नहीं करते।
इस नक्षत्र में …मकान बनाना ..शुभ हे..राज्याभिषेक से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अशुभ सूचना की आशंका/संभावना हे……………
ध्यान रखें- —पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी , द्वार,का……
दान करें- ……नमक का..तिल का…..
इस नक्षत्र में जमीं खरीदना, गृह/ कल्याण करक कार्य और धान्य( बीजारोपण ) सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मक्खन और तुरई , तुम्बे के बीज का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आम, खीर …
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23. पूर्व भाद्रपद : बुद्धिमान, जोड़-तोड़ में निपुण, संशोधक वृत्ति, समय के साथ चलने में कुशल होते हैं।
इस नक्षत्र में …ज्योतिष, गणित, खुदाई कार्य- तालाब, कुंवा से शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अशुभ सूचना की आशंका/संभावना हे…जल स्रोत से खतरा— तालाब, कुंवा, नदी, …………
ध्यान रखें- —व्यापर, द्वार, लकड़ी, ……
दान करें- ……नमक का….
इस नक्षत्र में पूजा पाठ, गृह निर्माण / विकास, स्थिर और कल्याणकारी कार्य को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दही, करेला, का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – हरी सब्जी, मुंग की दाल, नींबू, ..घी, मीठी खीर ,
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24. उत्तरा भाद्रपद : मोहक चेहरा, बातचीत में कुशल, चंचल व दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं।
इस नक्षत्र में …मकान, मंदिर निर्माण, राज्याभिषेक, स्थिर और सर्वकार्य से लाभ
नए वस्त्र धारण से पुत्र लाभ …..
ध्यान रखें- —व्यापर, द्वार, लकड़ी, ……
दान करें- ……नमक का….
इस नक्षत्र में पूजा पाठ, दान, भोजन ,ब्रह्मण कर्म. स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ….कपूर का प्रयोग करें….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में खीर, उड़द का बड़ा, स्वादिष्ट भरपेट भोजन का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आंवला, सिंघाड़ा, मक्खन, मिश्रित धान्य , ..
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25. रेवती : सत्यवादी, निरपेक्ष, विवेकवान होते हैं। सतत जन कल्याण करने का ध्यास इनमें होता है
इस नक्षत्र में …यात्रा, वाहन खरीद दरी से लाभ
नए वस्त्र धारण से अचानक धन / अर्थ लाभ …
ध्यान रखें- —व्यापार, द्वार, लकड़ी, ……
दान करें- ……गुड का….
इस नक्षत्र में व्यापर, स्थिर कार्य , जमीन खुदाई और बीज रोपण सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दही, कमलगट्टा और सुगन्धित जल का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – मुली, मोगरी, इलायची, लहसुन, कंदमूल, शक्करकंद, कस्तूरी…
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26 –. हस्त : कल्पनाशील, संवेदनशील, सुखी, समाधानी व सन्मार्गी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
इस नक्षत्र में …यात्रा, वाहन खरीद दरी से लाभ , मकान बनवाना, वस्त्र और सम्रद्धि के कार्य
नए वस्त्र धारण से …कार्य में सफलता प्राप्त होती हे….
ध्यान रखें- —अग्नि. द्वार., सजावट,..श्रंगार……..
दान करें- ……गुड का….नमक का….
इस नक्षत्र में ——व्यापर, स्थिर कार्य , जमीन खुदाई और बीज रोपण सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में घी , हरे मुंग का, सिंघाड़ा का सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – आंवला, मक्खन, खीर, भरपेट स्वादिष्ट भोजन…..
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27. पुष्य : सन्मर्गी, दानप्रिय, बुद्धिमान व दानी होते हैं। समाज में पहचान बनाते हैं।
इस नक्षत्र में …मकान बनवाना, वस्त्र और गहने बनवाना, राज्याभिषेक करवाना..जेसे कार्य करवाना और सम्रद्धि के कार्य करवाना चाहिए…
नए वस्त्र धारण से …इच्छाओ की पूर्ति और ..अर्थ लाभ की प्राप्ति होती हे…..
ध्यान रखें- —जल, द्वार., व्यापर, लकड़ी, चोखट, छत …
दान करें- ……..नमक का….
इस नक्षत्र में ——व्यापर, स्थिर कार्य , कल्याण कारक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ….
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में खीर, दूध ,मिश्र धन्य का भोजन / सेवन लाभकारी होता हे….
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए – भरपेट स्वादिष्ट भोजन.., इलायची, कंदमूल, शक्करकंद, तुरई, …
Wednesday, March 24, 2021
करें ये आसान उपाय, बढ़ती रहेगी इनकम
उपाय-1
शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को यथाशक्ति (जितना संभव हो) चावल भगवान शिव के मंदिर ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों में जितने चावल आ जाएं उतने शिवजी को अर्पण कर दें और भगवान शिव से धन प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। जितने चावल के दानें शिवजी को अर्पण किए जाते हैं, उसका उतने ही हजार गुना फल मिलता है। अब बचा हुआ चावल गरीबों में बांट दें। यह इनकम बढ़ाने का अचूक उपाय है।
उपाय-2
धन प्राप्ति के उपायों में कई वस्तुओं का उपयोग भी किया जाता है, जो माता लक्ष्मी को प्रिय हैं। ऐसी ही एक वस्तु है समुद्र से निकलने वाली कौड़ियां। दिखने में यह बहुत साधारण होती है लेकिन इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है। इसके उपायों से इनकम बढ़ने लगती है-
1. चांदी के सिक्कों के साथ यदि कौड़ियां धन स्थान पर रखी जाएं तो निश्चित ही धन लाभ होता है।
उपाय-3
रास्ते में जाते समय या कहीं और कोई किन्नर नजर आए तो उसे अपनी इच्छा के अनुसार कुछ रुपए आदि भेंट करें। संभव हो तो उसे भोजन भी कराएं। इसके बाद उस किन्नर से आप एक सिक्का (उसके पास रखा हुआ, आपके द्वारा दिया हुआ नहीं) मांग लें। इस सिक्के को अपने गल्ले, कैश बॉक्स या धन स्थान पर रख दें। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी सेविंग बढ़ जाएगी और साथ में इनकम भी।
कुंडली से जाने कि कौन सी दिशा से जॉब आदि मे प्रगति हो सकती हैं
कुंडली से जान सकते हैं कि कौन सी दिशा से जॉब आदि मे प्रगति हो सकती हैं।
हमारे देखने मैं आया है की हम जिस स्थान पर जन्म लेते है वहाँ हमारी प्रगति नहीं होती हैं। परन्तु उस स्थान से दूर जाते ही हमारी प्रगति होने लगती हैैं। इसे जानने के लिए कुंडली देखना जरूरी हो जाता हैं ।
दशम भाव में जो राशि होती है, उसके अनुसार जॉब आदि की दिशा तय हो जाती है।
दशम भाव में अगर मेष, सिंह, धनु राशि हो तो पूर्व दिशा मैं हमारी प्रगति हो सकती हैं।
दशम भाव में अगर वृषभ, कन्या, मकर राशि हो तो दक्षिण दिशा मैं हमारी प्रगति हो सकती हैं।
दशम भाव में अगर मिथुन, तुला, कुंभ राशि हो तो पश्चिम दिशा मैं हमारी प्रगति हो सकती हैं।
दशम भाव में अगर कर्क, वृश्चिक, मीन राशि हो तो उत्तर दिशा मैं हमारी प्रगति हो सकती हैं।
दशम भाव से ग्रहों की दिशाएँ :
अगर दशम भाव मैं ग्रह हो तो उसके अनुसार दिशा तय की जा सकती हैं जो इस प्रकार से हैं -
ग्रहों में सूर्य ईस्ट दिशा को बताता हैं।
ग्रहों में चंद्र नॉर्थ-वेस्ट (वायव्य) को बताता हैं।
ग्रहों में मंगल साउथ को बताता हैं।
ग्रहों में
बुध नॉर्थ को बताता हैं।
ग्रहों में गुरु नॉर्थ-ईस्ट को बताता हैं।
ग्रहों में शुक्र साउथ ईस्ट को बताता हैं।
ग्रहों में शनि वेस्ट को बताता हैं।
ग्रहों में राहु-केतु साउथ-वेस्ट को बताता हैं।
इस प्रकार से हम कुंडली देख कर जान सकते हैं कि हमारे लिए कौनसी दिशा से जॉब आदि मे प्रगति हो सकती हैं।
Saturday, March 13, 2021
सर्वग्रह पीड़ा निवारक टोटके
👉 सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
👉 रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
👉 ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है। ४॰ लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
👉 किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
👉 हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
👉 लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए। सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
चन्द्रमा
👉 व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।
👉 रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो। ३॰ ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
👉 वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।
👉 वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।
👉 सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पूना चाहिए।
👉 सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए। चन्द्रमा के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु सोमवार का दिन, चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त तथा श्रवण) तथा चन्द्रमा की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
मंगल
👉 लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
👉 जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
👉 बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
👉 लाल वस्त्र लिकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
👉 मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लिकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
👉 बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
👉 अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
बुध
👉 अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
👉 बुधवार के दिन हरे रंग की चूड़ियाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।
👉 हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
👉 बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
👉 घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।
👉 अपने घर में कंटीले पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
👉 तोता पालने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
बुध के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
गुरु
👉 व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
👉 सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
👉 मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
👉 किसी भी मन्दिर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
👉 परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
👉 गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
👉 गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शुक्र
👉 काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
👉 शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
👉 किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
👉 किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
👉 अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
👉 किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
👉 शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शनि
👉शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
👉शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
👉शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
👉भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
👉भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
👉किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
👉घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
राहु
👉 ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
👉 हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
👉 अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।
👉 जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
👉 दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।
👉 यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
👉 झुठी कसम नही खानी चाहिए।
राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
केतु
👉 भिखारी को दो रंग का कम्बल दान देना चाहिए।
👉 नारियल में मेवा भरकर भूमि में दबाना चाहिए।
👉 बकरी को हरा चारा खिलाना चाहिए। 👉 ऊँचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।
👉 घर में दो रंग का पत्थर लगवाना चाहिए।
👉 चारपाई के नीचे कोई भारी पत्थर रखना चाहिए।
👉 किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखना चाहिए। केतु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, केतु के नक्षत्र (अश्विनी, मघा)।
9 ग्रहों की प्रतिनिधि शुभ वस्तुएं
चन्द्र- चांदी, कांस्य, दूध, दही, चावल, शंख, सफेद सीपी, सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, निर्मल जल, कपूर, सफेद गाय, सफेद कुत्ता, खरगोश, सफेद बिल्ली, सफेद चंदन, चकोर, हंस, बर्फ, सफेद मोती।
मंगल- तांबा, मतान्तर से सोना, केसर, कस्तूरी, गेहूं, लाल चंदन, लाल गुलाब, सिन्दूर, शहद, लाल पुष्प, शेर, मृगछाला, मसूर की दाल, लाल कनेर, लाल मिर्च, लाल पत्थर, लाल मूंगा।
बुध- स्वर्ण मतान्तर से कांस्य, स्टेशनरी का सामान, हरे वस्त्र, केला, हरी सब्जियां, मूंग की दाल, तोता, मिट्टी का घड़ा, घी, हरे रंग का पत्थर, हरे रंग की वस्तुएं एवं पन्ना।
बृहस्पति- सोना मतान्तर से चांदी, दाल, चना, हल्दी, केसर, पीला रंग, पीली वस्तुएं, लुकाठ, कांस्य, पीत पुष्प, कस्तूरी, सेब, मेंढक, घोड़ा, घी, पीपल का वृक्ष, पीली मिट्टी, पीला पुखराज।
शुक्र- चांदी, सोना, आभूषण, सफेद चंदन, सुगंधित द्रव्य, श्वेत पुष्प, दूध, मिश्री, श्वेत मिट्टी, कामधेनु गाय, दही, चिडि़या, अभ्रक, आलू, श्वेत पत्थर, हीरा।
शनि- लोहा, लोहे की वस्तुएं, नीले वस्त्र, सरसों का तेल, काले माश, काली मिर्च, काले वस्त्र, काले चने, काला सूरमा, भैंस, काला साँप, चमड़ा, कुलथी, गर्म मसाले, पत्थर का कोयला, नीले पुष्प, नीला पत्थर, नीलम।
राहु- सीसा, सर्प, काला रंग, काले तिल, जौ, सरसों का तेल, काले रंग के पुष्प, हाथी, कच्चे कोयले, अभ्रक, मच्छली, गर्म कपड़े, बिजली के यंत्र, नीलगाय, धुआँ, कुंडली में राहु जिस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता हो उस ग्रह की वस्तुएं, गोमेद।
केतु- लोहा, चूहा, पलंग, चितकबरा कुत्ता, चितकबरे रंग, सर्प, पेशाब, चितकबरा कंबल, छिपकली, काले-सफेद तिल, चितकबरी गाय, श्मशान भूमि, चितकबरा पत्थर, कुंडली में केतु जिस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता हो उस ग्रह की वस्तुएँ, लहसुनिया।
सूर्य की पूजा से कुंडली के सभी दोष दूर
रविवार सूर्य देव की उपासना का विशेष दिन माना गया है। कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है। सूर्य के कारण व्यक्ति धन और प्रसिद्धि पाता है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं होती है, वे कड़ी मेहनत के बाद भी सम्मान हासिल नहीं कर पाते हैं। सभी राशि के लोग सूर्य के दोषों को दूर करने के लिए रविवार को यहां बताए जा रहे उपाय कर सकते हैं।
1. सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरे, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
2.जल अर्पित करने के बाद सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें। इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना से करें।
सूर्य मंत्र स्तुति
नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्।
दिवाकरं रविं भानुं मार्तण्डं भास्करं भगम्।।
इन्दं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्।
त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगतिं शुभम्।।
3. इस प्रकार सूर्य की आराधना करने के बाद धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
4.सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार किसी भी चीज का दान किया जा सकता है।
5.सूर्य देव के निमित्त रविवार को व्रत करें। एक समय फलाहार करें और सूर्यदेव का पूजन करें।
6.किसी गरीब को गुड़ का दान करें।
Friday, March 12, 2021
पति-पत्नी का विवाद कम करने के ज्योतिषीय उपाय
कई बार पति-पत्नी का विवाद हद से ज्यादा व छोटी-छोटी बातों पर होने लगे तो जीवन का हर सुख दुख में बदल जाता है।
पति-पत्नी में विवाद होना आम बात है। क्योंकि जहां प्रेम होता है व तकरार भी जरूर होती है। लेकिन कई बार पति-पत्नी का विवाद हद से ज्यादा व छोटी-छोटी बातों पर होने लगे तो जीवन का हर सुख दुख में बदल जाता है। इसका असर परिवार के अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है। ऐसी स्थिति में कुछ साधारण ज्योतिषीय उपाय कर पति-पत्नी के विवाद को काफी हद को कम किया जा सकता है। ये उपाय इस प्रकार हैं
1. पत्नी हर शु्क्रवार को चावल की खीर बनाए और पहले इसका भोग भगवान को लगाए। बाद में पति-पत्नी साथ में बैठकर ये खीर खाएं। इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
2. पति अगर ज्यादा गुस्से वाला हो तो पत्नी रोज किसी शिव-पार्वती मंदिर में जाए और लाल फूल अर्पित करे।
3. कनेर के फूल को पानी में पीसकर पति के माथे पर तिलक लगाने से भी पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
4. पति-पत्नी रोज एक साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। इससे भी दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
5. पति-पत्नी दोनों प्रत्येक गुरुवार को भगवान विष्णु के मंदिर जाएं और पीले रेशमी वस्त्र, पीले फल और मिठाई अर्पित करें।
6. पति-पत्नी रोज केले के पेड़ पर जल चढ़ाएं या केले की जड़ को पीले कपड़े में लपेटकर अपने सीधे हाथ में बाधें। ये भी वैवाहिक सुख पाने का खास उपाय है।
7. कई बार घर के नेगेटिवीटी के कारण भी पति-पत्नी में विवाद होने लगते हैं। इसके लिए रोज घर में गोमूत्र का छिड़काव करें।
धन प्राप्ति के उपाय
ज्योतिष के अनुसार सप्ताह के सातों दिनों के अलग-अलग कारक ग्रह हैं और सभी दिनों में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा विशेष रूप से की जाती है। जैसे शुक्रवार का कारक ग्रह शुक्र है और इस दिन महालक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है। ज्योतिष के अनुसार 10 उपाय। इन उपायों से कोई 1 उपाय भी रोज करेंगे तो धीरे-धीरे पैसों की कमी दूर हो सकती हैं।
पहला उपाय-रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के सूर्य को केसर वाला जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए।
दूसरा उपाय-शिवलिंग पर चांदी के लोटे से ठंडा जल चढ़ाएं। लोटे में पानी के साथ थोड़ा सा गंगा जल भी मिलाएं।
तीसरा उपाय-शिवलिंग के पास घी का दीपक जलाएं। दीपक जलाकर श्रीराम नाम का जाप 108 बार करें। ये उपाय सूर्यास्त के बाद करना चाहिए।
चौथा उपाय-किसी किन्नर को धन और साड़ी का दान करें। इसके बाद किन्नर से एक सिक्का लेकर अपने पास रख लें।
पांचवां उपाय-किसी सफाईकर्मी को घर में बैठाकर खाना खिलाएं और धन का दान करें।
छठा उपाय-जब भी खाना बनाए तो पहली रोटी गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए निकालनी चाहिए।
सातवां उपाय-रोज सुबह मछलियों को आटे की गोलियां खिलानी चाहिए।
आठवां उपाय-रात को सोने से पहले अपने इष्टदेव का ध्यान करें। दिनभर में हुई गलतियों के लिए भगवान से क्षमा मांगे।
नवां उपाय-नहाते समय पानी में थोड़ा सा गंगाजल जरूर मिलाना चाहिए।
दसवां उपाय-किसी सुहागिन स्त्री को सुहाग का सामान दान करें।(महीने में एक बार पूरी श्रद्धा से )
देवी के लिए सोलह श्रृंगार
महिलाओं की अच्छी सेहत और सौभाग्य से जुड़ी है ये परंपरा
ऋग्वेद सहित पुराणों और स्मृति ग्रंथों में भी हुआ है सोलह श्रृंगार का जिक्र
नवरात्र में देवी को सोलह श्रृंगार सामग्री चढ़ाई जाती है साथ ही महिलाएं भी ये सिंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हर युग और सभ्यता में श्रृंगार की चीजें बनाई गई थीं। जो पत्थर और कई तरह की धातुओं से बनी होती थी। ये आज भी खुदाई में मिलती हैं। ऋग्वेद सहित पुराणों और स्मृति ग्रंथों में भी सोलह श्रृंगार का जिक्र हुआ है। कहा गया है कि ऐसा करने से सिर्फ सुदंरता ही नहीं सौभाग्य भी बढ़ता है। पुरातन काल से ही महिलाओं को श्रृंगार करने की सलाह दी जाती रही है। योगियों और ऋषि-मुनियों ने इनका महत्व बताया है। आज कुछ रिसर्च में भी ये बातें सामने आई हैं कि श्रृंगार की चीजें सेहत ठीक रखने में मददगार होती है। इनसे हार्मोन्स कंट्रोल होते हैं।
मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र पर्व में सोलह श्रृंगार करने चाहिए और देवी को भी ये श्रृंगार की चीजें चढ़ानी चाहिए। लेकिन, लिपिस्टिक, पाउडर, आई लाइनर और नेल पॉलिश जैसी चीजें देवी को नहीं चढ़ानी चाहिए। केमिकल से बने इन कॉस्मेटिक्स का जिक्र ग्रंथों में भी नहीं किया गया है।
देवी के लिए सोलह श्रृंगार
देवी पुराण के मुताबिक नवरात्रि के दौरान मां को प्रसन्न करने के लिए उनका सोलह श्रृंगार किया जाता है। माता के श्रृंगार में लाल चुनरी, चूड़ी, इत्र, सिंदूर, बिछिया, महावर, मेहंदी, काजल, फूलों का गजरा, कुमकुम, बिंदी, गले के लिए माला या मंगलसूत्र, पायल, नथ, कान की बाली और कमर के लिए फूलों की वेणी का इस्तेमाल किया जाता है।
माता के श्रृंगार का महत्व
नवरात्र में माता को सोलह श्रृंगार चढ़ाना शुभ होता है। इससे सुख और समृद्धि बढ़ती है और अखंड सौभाग्य भी मिलता है। देवी को सोलह श्रृंगार चढ़ाने के साथ ही महिलाओं को भी खुद सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से मन प्रसन्न होता है और देवी कृपा भी मिलती है।
शिवपुराण में बताए हैं उम्र और धन बढ़ाने वाले ये सरल उपाय
शिवपुराण में बताए हैं उम्र और धन बढ़ाने वाले ये सरल उपाय :-
इस सृष्टि की रचना शिवजी की इच्छा मात्र से ही हुई है। शिवपुराण में बताया गया है कि ब्रह्माजी ने शिवजी की इच्छा के अनुसार संपूर्ण सृष्टि रची है। महादेव ने इसके संचालन का कार्य भगवान श्रीहरि को सौंपा है। इसी कारण शिवजी का पूजन सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले माना गया है। जो भी व्यक्ति भोलेनाथ की आराधना करता है, उसे सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। उसके पाप नष्ट हो जाते हैं, अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। यदि आप भी शिवजी की कृपा से स्वास्थ्य, उम्र और धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो शिवपुराण में बताए गए उपाय करना चाहिए।
शिवपुराण में सप्ताह के सातों दिनों के लिए अलग-अलग देवताओं के पूजन का महत्व बताया गया है। रविवार को सूर्य, सोमवार को चंद्र, मंगलवार को मंगल, बुधवार को बुध, गुरुवार को बृहस्पति, शुक्रवार को शुक्र और शनिवार को शनि का पूजन करना श्रेष्ठ है।
सूर्य आरोग्य देता है।
चंद्र धन-संपत्ति देता है।
मंगल व्याधियों यानी रोगों का निवारण करता है।
बुध देव बल देता है।
बृहस्पति आयु बढ़ाता है।
शुक्र भौतिक सुख प्रदान करता है।
शनि मृत्यु का भय दूर करता है।
रविवार को ऐसे प्राप्त करें सूर्य की कृपा
सूर्य की कृपा पाने के लिए हर रोज सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। रविवार को तांबे के लोटे में जल भरें, पुष्प डालें और सूर्य को अर्पित करें। इसके बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति को या किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं। यदि भोजन नहीं करा सकते हैं तो किसी मंदिर में अन्न का दान करें। यह उपाय नियमित रूप से करते रहेंगे तो सूर्य की कृपा से आरोग्य की प्राप्ति होती है। रोगों से मुक्ति मिलती है और यौवन बना रहता है।
सोमवार को ऐसे प्राप्त करें चंद्र की पूजा
चंद्र देव की कृपा से व्यक्ति को धन-संपत्ति के साथ ही मानसिक शांति की प्राप्ति भी होती है। चंद्र कृपा पाने के लिए हर सोमवार देवी लक्ष्मी का पूजन करें। पूजन के बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति को या किसी ब्राह्मण को घी से निर्मित भोजन कराएं या किसी मंदिर में घी का दान करें।
इस उपाय से धन संबंधी कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और देवी लक्ष्मी की कृपा से घर में बरकत बनी रहती है।
मंगलवार को ऐसे प्राप्त करें मंगल की कृपा
मंगल की कृपा पाने के लिए हर मंगलवार मां काली का पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही उड़द, मूंग एवं अरहर की दाल से निर्मित भोजन किसी ब्राह्मण को या किसी जरुरतमंद व्यक्ति को कराएं। इस उपाय को नियमित रूप से करने पर मंगल की कृपा प्राप्त होती है और रोगों की शांति होती है। स्वास्थ्य उत्तम रहता है। भूमि संबंधी कार्यों में भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
बुधवार को ऐसे प्राप्त करें बुध की कृपा
यदि आप बुध की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो हर बुधवार यह उपाय करें। उपाय के अनुसार हर बुधवार भगवान विष्णु का पूजन करें। पूजन में दधियुक्त यानी दूध-दही से निर्मित प्रसाद अर्पित करें। मिठाई अर्पित की जा सकती है। यह उपाय नियमित रूप से करते रहना चाहिए। इसके शुभ प्रभाव से पुत्र, मित्र और घर-परिवार से सहयोग प्राप्त होता है। दुख दूर होते हैं। सुखद वातावरण बना रहता है।
गुरुवार को ऐसे प्राप्त करें बृहस्पति की कृपा
जो लोग गुरुवार को यहां बताया जा रहा उपाय नियमित रूप से करते हैं, उन्हें लंबी आयु प्राप्त हो सकती है। देव गुरु बृहस्पति से कृपा पाने के लिए हर गुरुवार वस्त्र, यज्ञोपवित और घी मिश्रित खीर से शिवजी का पूजन करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार इस उपाय से व्यक्ति दीर्घायु होता है।
शुक्रवार को ऐसे प्राप्त करें शुक्र की कृपा
समस्त भोग यानी सभी भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त करने के लिए शुक्रवार को यह उपाय करें। उपाय के अनुसार हर शुक्रवार शिवजी को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्पित करें। बिल्व पत्र चढ़ाएं। किसी ब्राह्मण या जरुरतमंद व्यक्ति को अन्न का दान करें। यह उपाय नियमित रूप से करते रहने पर व्यक्ति को समस्त भोगों की प्राप्ति होती है। पत्नी से सुख पाने के लिए शुक्रवार को पत्नी को सुंदर वस्त्र का उपहार दें।
शनिवार को ऐसे प्राप्त करें शनि की कृपा
शनि की कृपा से मृत्यु भय से मुक्ति पाने के लिए हर शनिवार भगवान शिव का विशेष पूजन करना चाहिए। पूजन में जल, बिल्व पत्र, काले तिल आदि अर्पित करें। किसी जरुरतमंद व्यक्ति को या किसी ब्राह्मण को तिल मिश्रित भोजन कराएं। शनि के निमित्त तेल का दान करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। जो लोग यहां बताए गए उपाय नियमित रूप से करते रहते हैं, उन्हें आयोग्य प्राप्त होता है।
कार्तिक मास 2021
हिंदू धर्म में हर महीने का अलग-अलग महत्व होता है। लेकिन कार्तिक मास की महिमा बेहद खास मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास आठ...
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कलियुग में नाम संकीर्तन के अलावा जीव के उद्धार का अन्य कोई भी उपाय नहीं है| विष्णुधर्मोत्तर में लिखा है कि श्रीहरि के नाम-संकीर्त...
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तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन किया जाता है। इसे देवउठनी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। यह एक श्रेष्ठ मांग...