Monday, December 30, 2019

अपनी कमाई का कितना हिस्सा दान करना चाहिए - Jagadguru Dwarachariy Swami Shri Rajendar Das Ji Maharaj



अपनी कमाई का कितना हिस्सा दान करना चाहिए _ Jagadguru Dwarachariy Swami Shri Rajendar Das Ji Maharaj 

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धन से जुड़े ऐसे ही अनमोल विचार

धन भले ही जीवन के सुख का आधार नहीं हो सकता है लेकिन तमाम तरह के सुख को पाने में इसकी बहुत जरूरत होती है। रोटी, कपड़ा और मकान जैसी प्राथमिक जरूरतों को पूरा करने से लेकर तमाम तरह की सुख-सुविधाएं हासिल करने के लिए इंसान सुबह से शाम तक खून-पसीना बहाता है। लेकिन पैसा कमाने से पहले उससे जुड़ी इन बातों का जानना बहुत जरूरी है ...

चाणक्य 
गंदे वस्त्र धारण करने वाले, दांत न साफ करने वाले, पेटू व्यक्ति, कड़वे वचन वाले और ऊषा काल यानी सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के समय सोने वाले व्यक्ति के पास कभी लक्ष्मी नहीं ठहरतीं।

कबीर
उल्टी खोपड़ी वाला व्यक्ति धन को लेकर कभी संतुष्ट नहीं होता, वह हमेशा इसी फेर में लगा रहता है कि तीनों लोकों की संपत्ति कब उसके पास आ जायेगी।

विदुर
धन उत्तम कर्मों से उत्पन्न होता है, प्रगल्भता से बढ़ता है, चतुराई से फलता-फूलता है और संयम से सुरक्षित होता है।

वॉरेन बफेकिसी भी व्यक्ति का खर्च हमेशा उसकी कमाई से कम ही रहना चाहिए। इसके लिए फिजूलखर्ची पर लगाम लगानी होगी। उसे अपनी जरूरतों और ख्वाहिशों में अंतर समझना हो

चार्ल्स ए. जैफ्फआपका वेतन आपको अमीर नहीं बनाता, आपकी खर्च करने की आदत बनाती है।

Friday, December 13, 2019

शाह जहाँ को मलूकदास जी का श्राप देना

शाह जहाँ के शाशन काल में धर्मान्तरण की प्रक्रिया जोरों पर थी. एक दिन शाह जहाँ ने मंत्रियों को बुला कर पूछा. ये बताओ इतना बल और छल प्रयोग करने के बाद भी मुल्क का इस्लामीकरण क्यों नहीं हो पा रहा ? मंत्री बोले तुमसे ना हो पायेगा. जब तक हिन्दू साधु संत जमात के साथ विचरण करते रहेंगे, सत्संग करते रहेंगे तब तक ना हो पायेगा. सुनते ही शाह जहाँ ने फतवा जारी कर दिया. कहा जो भी साधू संत जमात के साथ घुमते मिल जाए . कैद कर के जेल में डाल दो. पूरे भारत में हजारों साधु संत बंदी बना लिए गए.

उसी समय मलूक दास जी महाराज प्रयाग के निकट कड़ा में विराजमान थे. वनखंडी नारायण दास जी महाराज उनके पास आये. मलूक दस जी से आग्रह किया हजारों निरपराध संत बंदी है और आप तपस्या में बैठे हैं. आप जैसे सिद्ध संत कृपा नहीं करेंगे तो कौन करेगा? मलूक दास जी ने संतो के उद्धार का निश्चय किया. फतवा की ऐसी तैसी करते हुए प्रयागराज से आप दक्षिण के श्री काकुलम पहुचे. वहां संतो को बंदीगृह से मुक्त करवाया. वहां के रजा को वैष्णवी दीक्षा दी.

फिर मलूक दास जी दिल्ली आये जैसे ही मलूक दस जी दिल्ली पहुचे पूरी जमात सहित आपको बंदी बना लिया गया. सबको काराग्रह में भेज दिया गया. आप समर्थ संत थे. जैसे ही आपको काराग्रह में भेजा गया सभी संतो की बेड़ियाँ अपने आप टूट गयीं काराग्रह के ताले खुल गए. आप पूरे संत समाज के साथ मथुरा में यमुना नदी के किनारे विराजमान हो गए.
जैसे ही आप दिल्ली की सीमा से बहार आये शाह जहाँ का पूरा शरीर जलने लगा. ऐसी तैसी हो गयी नवाब की. सारे हकीम वैद्य फेल हो गए. उसी समय मलूक दास जी के जाने की सूचना मिली. शाह जहाँ सब समझ गया. तब पूछते पूछते वो मलूक दस जी के पास पंहुचा.
जैसे ही शाह जहाँ मलूक दास जी के पास पंहुचा. रोने अलग माफ़ी मांगने लगा. बोला पूरा शरीर जला जा रहा है माफ़ कर दो. मलूक दास जी ने कहा तुमने संतो को बहुत कष्ट पहुचाया है. इसलिए तुम्हारा बेटा तुम्हे भी कारागार में डालेगा और वही तुम्हारी मृत्य होगी. शाह जहाँ ने कहा बस ये जलन ठीक करो. नहीं तो हम बेटे के जेल में डालने तक बचेंगे ही नहीं.
मलूक दस जी की शर्ते

मलूक दास जी ने शाह जहाँ के सामने कुछ शर्ते रखीं.

बलपूर्वक किसी का धर्मांतरण ना कराया जाए.

गौ हत्या तत्काल बंद हो.

साधू संतो के कहीं भी आने जाने पर किसी भी प्रकार की कोई भी पाबंदी ना हो.

मरता क्या ना करता शाह जहाँ ने सब मान लिया. मलूक दस जी ने कृपा की और उसकी पीड़ा का अंत हो गया.
शाह जहाँ ने मलूक दास जी को सम्मानित किया.

मलूक दास जी को फ़कीर-ऐ-शहंशाह का खिताब दिया. साथ में 500 गावों की जागीर दी. जिससे मलूक दास की परंपरा का खूब विस्तार हुआ. आज भी मलूक पीठ श्री धाम वृन्दावन में है.

समय बीता और मलूक दास जी की वाणी सत्य हुई. औरंगजेब ने शाह जहाँ को आगरा के किले में कैद कर दिया और वही उसकी मृत्यु हो गयी.

गुरु नानक देव जी और लालची आदमी

गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ यात्रा किया करते थे. एक बार गांव के तरफ से गुजरते हुए उन्हें अचानक प्यास लगी. चलते-चलते उनको पहाड़ी पर एक कुआं दिखाई दिया. गुरु नानक ने शिष्य को पानी लेने के लिए भेजा. लेकिन कुएं का मालिक लालची और धनी था. वो पानी के बदले धन लिया करता था. शिष्य उस लालची आदमी के पास तीन बार पानी मांगने गया और तीनों बार उसे भगा दिया गया क्योंकि उसके पास धन नहीं था. भीषण गर्मी में गुरु नानक और शिष्य अभी तक प्यासे थे. गुरु जी ने कहा- 'ईश्वर हमारी मदद जरूर करेगा.'



इसके बाद नानक जी ने मिट्टी खोदना शुरू कर दिया. थोड़ा ही खोदा था और अचानक वहां से शुद्ध पानी आने लगा. जिसके बाद गुरु जी और शिष्यों ने पानी पीकर प्यास बुझाई. गांव वाले भी देखकर वहां पानी पीने पहुंच गए. यह देखकर कुएं के मालिक को गुस्‍सा आ गया. उसने कुएं की तरफ देखा तो वो हैरान रह गया. एक तरफ पानी की धारा बह रही थी तो दूसरी तरफ कुएं का पानी कम होता जा रहा था. फिर कुएं के मालिक ने गुरु जी को जोर से पत्थर मारा. लेकिन गुरु जी ने हाथ आगे किया और पत्थर हाथ से टकराकर वहीं रुक गया. ऐसा देख कुएं का मालिक उनके चरणों पर आकर गिर गया. गुरु जी ने समझाया- "किस बात का घमंड? तुम्हारा कुछ नहीं है. खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाओगे. कुछ करके जाओगे तो लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहोगे."
गुरु नानक जी के आशीर्वाद का रहस्य गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ एक गांव पहुंचे. उस गांव के लोग बहुत ही बुरे थे. वो हर किसी के साथ दुर्व्यवहार किया करते थे. जैसे ही गुरु नानक पहुंचे तो गांव के लोगों ने उनके साथ बहुत दुर्व्यवहार किया और उनकी हंसी उड़ाने लगे. गुरु जी ने गांव वालों को दुर्व्यवहार ना करने के लिए समझाने की कोशिश की. लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ. गुरु जी वहां से निकलने लगे. गांव वालों ने कहा- महात्मन, हमने आपकी इतनी सेवा की. जाने से पहले कम से कम आशीर्वाद तो देते जाईये. उन्हें आशीर्वाद देते हुए गुरु जी ने कहा- 'एक साथ एक जगह पर रहो.'

कुएं बाद गुरुजी दूसरे गांव पहुंचे. उस गांव के लोग बहुत ही अच्छे थे. गांव के लोगों ने गुरु जी की खूब सेवा की और भरपूर अतिथि-सत्कार किया. जब गुरु जी के गांव छोड़ने का वक्त आया तो गांव वालों ने भी आशीर्वाद मांगा. उन्हें आशीर्वाद देते हुए गुरु जी ने कहा- "तुम सब उजड़ जाओ." इतना सुनकर उनके शिष्य हैरान रह गए. उन्होंने पूछा- "गुरु जी आज हम दो गावों में गए. दोनों जगह आपने अलग अलग आशीर्वाद दिए.लेकिन ये आशीर्वाद हमारे समझ में नहीं आए." जिसके बाद गुरु जी ने कहा- "एक बात हमेशा ध्यान रखो – सज्जन व्यक्ति जहां भी जाता है, वो अपने साथ सज्जनता और अच्छाई लेकर जाता है. वो जहां भी रहेगा, अपने चारों ओर प्रेम और सद्भाव का वातावरण बना कर रखेगा. अतः मैंने सज्जन लोगों से भरे गांव के लोगों को उजड़ जाने को कहा."

Monday, December 2, 2019

बजरंग बाण के लाभ



जय सिया राम



आज हम आपको बजरंग वान से होने वाले आठ लाभों के बारे में बतायेगे!!!!!!
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।

बजरंगबाण से विवाह बाधा खत्म कदली वन, या कदली वृक्ष के नीचे बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह की बाधा खत्म हो जाती है। यहां तक कि तलाक जैसे कुयोग भी टलते हैं बजरंग बाण के पाठ से। -

बजरंग बाण से ग्रहदोष समाप्त अगर किसी प्रकार के ग्रहदोष से पीड़ित हों, तो प्रात:काल बजरंग बाण का पाठ, आटे के दीप में लाल बत्ती जलाकर करें। ऐसा करने से बड़े से बड़ा ग्रह दोष पल भर में टल जायेगा।

-साढ़ेसाती-राहु से नुकसान की भरपाई अगर शनि,राहु,केतु जैसे क्रूर ग्रहों की दशा,महादशा चल रही हो तो उड़द दाल के 21 या 51 बड़े एक धागे में माला बनाकर चढ़ायें। सारे बड़े प्रसाद के रुप में बांट दें। आपको तिल के तेल का दीपक जलाकर सिर्फ 3 बार बजरंगबाण का पाठ करना होगा।

-बजरंगबाण से कारागार से मुक्ति अगर किसी कारणवश जेल जाने के योग बन रहे हों, या फिर कोई संबंधी जेल में बंद हो तो उसे मुक्त कराने के लिए हनुमान जी की पूंछ पर सिंदूर से 11 टीका लगाकर 11 बार बजरंग बाण पढ़ने से कारागार योग से मुक्ति मिल जाती है।

अगर आप हनुमान जी को 11 गुलाब चढ़ाते हैं या फिर चमेली के तेल में 11 लाल बत्ती के दीपक जलाते हैं तो बड़े से बड़े कोर्ट केस में भी आपको जीत मिल जायेगी। -सर्जरी और गंभीर बीमारी टाले बजरंग बाण कई बार पेट की गंभीर बीमारी जैसे लीवर में खराबी, पेट में अल्सर या कैंसर जैसे रोग हो जाते हैं, ऐसे रोग अशुभ मंगल की वजह से होते हैं।

अगर इस तरह के रोग से मुक्ति पानी हो तो हनुमान जी को 21 पान के पत्ते की माला चढ़ाते हुए 5 बार बजरंग बाण पढ़ना चाहिये। ध्यान रहे कि बजरंगबाण का पाठ राहुकाल में ही करें। पाठ के समय घी का दीप ज़रुर जलायें।

-छूटी नौकरी दोबारा दिलाए बजरंग बाण अगर नौकरी छूटने का डर हो या छूटी हुई नौकरी दोबारा पानी हो तो बजरंगबाण का पाठ रात में नक्षत्र दर्शन करने के बाद करें। इसके लिए आपको मंगलवार का व्रत भी रखना होगा।

अगर आप हनुमान जी को नारियल चढ़ाने के बाद, उसे लाल कपड़े में लपेट कर घर के आग्नेय कोण रखते हैं तो मालिक स्वयं आपको नौकरी देने आ सकता है। -वास्तुदोष दूर करे बजरंगबाण कई बार घर में वास्तुदोष के चलते कई समस्या हो जाती है।

तो घर में वास्तुदोष दूर करने के लिए 3 बार बजरंगबाण का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी को लाल झंडा चढ़ाने के बाद उसे घर के दक्षिण दिशा में लगाने से भी वास्तुदोष से मुक्ति मिलती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा घर के मुख्य द्वार पर लगायें।

-बजरंग बाण से दवा असर करे कई बार गंभीर बीमारी में दवा फायदा नहीं करती। दवा फायदा करे इसके लिए 2 बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। साथ ही साथ संजीवनी पर्वत की रंगोली बनाकर उस पर तुलती के 11 दल चढ़ाने से दवा धीरे धीरे असर करने लगती है।

|| श्री बजरंग बाण ||
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
जन के काज विलम्ब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जैसे कूदि सिन्धु महिपारा, सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।
आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका ।
जाय विभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा ।
बाग उजारि सिन्धु महं बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा ।
अक्षय कुमार को मारि संहारा, लूम लपेट लंक को जारा ।
लाह समान लंक जरि गई, जय जय धुनि सुरपुर में भई ।
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।
जय जय लखन प्राण के दाता, आतुर होय दु:ख करहु निपाता ।
जै गिरिधर जै जै सुख सागर, सुर समूह समरथ भटनागर ।
ॐ हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले, बैरिहि मारू बज्र की कीले ।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो, महाराज प्रभु दास उबारो ।
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो, बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।
ॐ ह्रिं ह्रिं ह्रिं हनुमन्त कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।
सत्य होहु हरि शपथ पायके, राम दूत धरु मारु जाय के ।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा, दु:ख पावत जन केहि अपराधा ।
पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।
पांय परौं कर जोरि मनावौं, येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता, शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।
बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक ।
भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर, अग्नि बेताल काल मारी मर ।
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की, राखउ नाथ मरजाद नाम की ।
जनकसुता हरि दास कहावो, ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।
जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा ।
चरन शरण कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई, पांय परौं कर जोरि मनाई ।
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ।
अपने जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो ।
यह बजरंग बाण जेहि मारै, ताहि कहो फिर कौन उबारै ।
पाठ करै बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करै प्राण की ।
यह बजरंग बाण जो जापै, ताते भूत-प्रेत सब कांपै ।
धूप देय अरु जपै हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा ।
॥ दोहा ॥
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥

बजरंग बाण और उसके तीव्र प्रभाव का कारण
हनुमान जी कलयुग में सर्वाधिक जाग्रत देवता माने जाते हैं जो सप्त चिरंजीवी में से एक हैं ,अर्थात जिनकी कभी मृत्यु नहीं हो सकती |

इनके सम्बन्ध में अनेक किवदंतियां हैं और आधुनिक युग में भी इन्हें कहीं कहीं उपस्थित रूप से माना जाता है अथवा इनकी उपस्थिति समझी जाती है |इन्होने भगवान् राम की ही सहायता नहीं की अपितु अर्जुन और भीम की भी सहायता की |

इन्हें रुद्रावतार भी कहा जाता है और एकमात्र यही हैं जो शनि ग्रह के प्रभाव को भी नियंत्रित कर सकते हैं |सामान्यतया जब भी हनुमान आराधना /उपासना की बात आती है ,लोगों के दिमाग में हनुमान चालीसा और सुन्दरकाण्ड के पाठ की याद आती है |यह सबसे अधिक प्रचलित पाठ हैं जिनके प्रभाव भी दीखते हैं |

हनुमान की कृपा प्राप्ति और उनके द्वारा कष्टों के निदान के लिए अनेक उपाय और पाठ इनके अतिरिक्त भी बनाए गए हैं जो भिन्न भिन्न समस्याओं में लोगों द्वारा प्रयोग होते हैं |इन्ही पाठों में दो पाठ ऐसे हैं जो अत्यधिक तीव्र प्रभावी हैं |यह पाठ बजरंग बाण और हनुमान बाहुक के हैं |

बजरंग बाण है तो हनुमान चालीसा जैसा ही पाठ किन्तु यह हनुमान चालीसा से अधिक प्रभावी है |शत्रु बाधा ,तांत्रिक अभिचार ,किया कराया ,भूत -प्रेत ,ग्रह दोष आदि के लिए यह बाण की तरह काम करता है।

इसीलिए इसका नाम बजरंग बाण है |बजरंग बाण चौपाइयों पर आधारित पाठ है किन्तु इसकी सफलता इसके शपथ में है |इसमें देवता को शपथ दी जाती है की वह पाठ कर्ता की समस्या दूर करे |यह शपथ की प्रक्रिया शाबर मंत्र जैसी है जिसके कारण बजरंग बाण की क्रिया प्रणाली बिलकुल भिन्न हो जाती है |

वास्तव में जब व्यक्ति शपथ देता है भगवान् को तो भगवान् शपथ के अधीन हो न हो ,व्यक्ति जरुर गहरे से भगवान् से जुड़ जाता है और प्रबाल आत्मविश्वास ,आत्मबल उत्पन्न होता है की अब तो समस्या जरुर हटेगी क्योंकि भगवान् को हमने शपथ दिया है |

तीव्र आंतरिक आवेग उत्पन्न होता है और जितनी भी आंतरिक शक्ति होती है व्यक्ति की उस समस्या के पीछे लग जाती है ,इस कारण सफलता बढ़ जाती है |कुछ ऐसा ही शाबर मन्त्रों के साथ होता है |इसके साथ ही पृथ्वी की सतह पर क्रियाशील अंग देवता और सहायक शक्तियाँ उस व्यक्ति के साथ जुड़ उसकी सहायता करने का प्रयत्न करती हैं |

यहाँ यह जरुर ध्यान देने की बात है की जब देवता को शपथ दी जाए तो बहुत सतर्कता और सावधानी की जरूरत हो जाती है ,क्यंकि फिर गलतियाँ क्षमा नहीं होती |

जब आप देवता को मजबूर करने का प्रयत्न करते हैं तब आपको भी नियंत्रित रहना होता है अन्यथा देवता की ऊर्जा तीव्र प्रतिक्रिया कर सकती है |

बहुत से लोग जो वैदिक हैं ,सनातन पद्धति से जुड़े हैं वह इस शपथ की प्रक्रिया को ,शपथ देने को अच्छा नहीं मानते ,किन्तु यह पाठ गोस्वामी तुलसीदास के समय बनाया गया है जो यह प्रकट करता है की उस समय सामाजिक विक्षोभ की स्थिति में जब सामान्य पाठ ,मंत्र आदि काम नहीं कर रहे थे तब शाबर मंत्र काम कर रहे थे ,अतः यह उस पद्धति पर बनाया गया |शाबर मन्त्रों में तो किसी भी देवता को आन दी जा सकती है ,शपथ दी जा सकती है ||

इसकी एक विशेष अलग कार्यप्रणाली होती है |इसी आधार पर हनुमान की शक्ति को अधिकतम पाने के लिए बजरंग बाण में शपथ का प्रयोग किया गया |यह पद्धति काम करती है और इसके अच्छे परिणाम भी मिलते हैं बस साधक खुद को नियंत्रित ,संतुलित और एकाग्र रखे |

जैसे की शाबर मन्त्रों में होता है की इनसे पृथ्वी की सतह पर क्रियाशील शक्तियाँ प्रभावित होती हैं वैसा ही बजरंग बाण में भी होता है की पृथ्वी की सतह पर क्रियाशील धनात्मक ऊर्जा से संचालित शक्तियाँ साधक की सहायता करने लगती हैं |


🙏🚩जय हनुमान🚩

कार्तिक मास 2021

  हिंदू धर्म में हर महीने का अलग-अलग महत्व होता है। लेकिन कार्तिक मास की महिमा बेहद खास मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास आठ...