गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ यात्रा किया करते थे. एक बार गांव के तरफ से गुजरते हुए उन्हें अचानक प्यास लगी. चलते-चलते उनको पहाड़ी पर एक कुआं दिखाई दिया. गुरु नानक ने शिष्य को पानी लेने के लिए भेजा. लेकिन कुएं का मालिक लालची और धनी था. वो पानी के बदले धन लिया करता था. शिष्य उस लालची आदमी के पास तीन बार पानी मांगने गया और तीनों बार उसे भगा दिया गया क्योंकि उसके पास धन नहीं था. भीषण गर्मी में गुरु नानक और शिष्य अभी तक प्यासे थे. गुरु जी ने कहा- 'ईश्वर हमारी मदद जरूर करेगा.'
इसके बाद नानक जी ने मिट्टी खोदना शुरू कर दिया. थोड़ा ही खोदा था और अचानक वहां से शुद्ध पानी आने लगा. जिसके बाद गुरु जी और शिष्यों ने पानी पीकर प्यास बुझाई. गांव वाले भी देखकर वहां पानी पीने पहुंच गए. यह देखकर कुएं के मालिक को गुस्सा आ गया. उसने कुएं की तरफ देखा तो वो हैरान रह गया. एक तरफ पानी की धारा बह रही थी तो दूसरी तरफ कुएं का पानी कम होता जा रहा था. फिर कुएं के मालिक ने गुरु जी को जोर से पत्थर मारा. लेकिन गुरु जी ने हाथ आगे किया और पत्थर हाथ से टकराकर वहीं रुक गया. ऐसा देख कुएं का मालिक उनके चरणों पर आकर गिर गया. गुरु जी ने समझाया- "किस बात का घमंड? तुम्हारा कुछ नहीं है. खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाओगे. कुछ करके जाओगे तो लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहोगे."
गुरु नानक जी के आशीर्वाद का रहस्य गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ एक गांव पहुंचे. उस गांव के लोग बहुत ही बुरे थे. वो हर किसी के साथ दुर्व्यवहार किया करते थे. जैसे ही गुरु नानक पहुंचे तो गांव के लोगों ने उनके साथ बहुत दुर्व्यवहार किया और उनकी हंसी उड़ाने लगे. गुरु जी ने गांव वालों को दुर्व्यवहार ना करने के लिए समझाने की कोशिश की. लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ. गुरु जी वहां से निकलने लगे. गांव वालों ने कहा- महात्मन, हमने आपकी इतनी सेवा की. जाने से पहले कम से कम आशीर्वाद तो देते जाईये. उन्हें आशीर्वाद देते हुए गुरु जी ने कहा- 'एक साथ एक जगह पर रहो.'
कुएं बाद गुरुजी दूसरे गांव पहुंचे. उस गांव के लोग बहुत ही अच्छे थे. गांव के लोगों ने गुरु जी की खूब सेवा की और भरपूर अतिथि-सत्कार किया. जब गुरु जी के गांव छोड़ने का वक्त आया तो गांव वालों ने भी आशीर्वाद मांगा. उन्हें आशीर्वाद देते हुए गुरु जी ने कहा- "तुम सब उजड़ जाओ." इतना सुनकर उनके शिष्य हैरान रह गए. उन्होंने पूछा- "गुरु जी आज हम दो गावों में गए. दोनों जगह आपने अलग अलग आशीर्वाद दिए.लेकिन ये आशीर्वाद हमारे समझ में नहीं आए." जिसके बाद गुरु जी ने कहा- "एक बात हमेशा ध्यान रखो – सज्जन व्यक्ति जहां भी जाता है, वो अपने साथ सज्जनता और अच्छाई लेकर जाता है. वो जहां भी रहेगा, अपने चारों ओर प्रेम और सद्भाव का वातावरण बना कर रखेगा. अतः मैंने सज्जन लोगों से भरे गांव के लोगों को उजड़ जाने को कहा."
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