स्वामी रामतीर्थ बचपन में गाँव के ही एक मौलवी साहब से पढ़ा करते थे। अपनी शुरूआती पढाई समाप्त होने पर अब उन्हें स्कूल भेजा जाना था। स्वामी रामतीर्थ के पिता मौलवी साहब के पढ़ाने के तरीके से काफी प्रसन्न थे। वे रामतीर्थ को अच्छे से पढ़ाने के लिए मौलवी साहब को मासिक वेतन के अलावा भी कुछ भेंट देना चाहते थे। जब रामतीर्थ को पिता के इस विचार के बारे में पता चला तो वे बहुत खुश हुए।
वे अपने पिता के पास गए और बोले,”पिताजी! मौलवी साहब को अपनी बढ़िया दूध देने वाली गाय दे दीजिये। इन्होने मुझे सबसे बढ़िया दूध मतलब विद्या का दूध पिलाया है।”
स्वामी रामतीर्थ की अपने गुरु के प्रति इस श्रद्धा को देखकर उनके पिता और मौलवी साहब दोनों ही प्रसन्न हो गए।
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