Wednesday, November 27, 2019

संत की रहमत शराबी पर

एक मुस्लिम लड़की थी जो ब्यास जाना चाहती थी, पर उसके घरवाले उसे ब्यास नहीं भेजते थे. एक दिन वो घर से बिना किसी को बताए अकेली ही ब्यास के लिए निकल पड़ी. वो एक ट्रक में, जो की अमृतसर की ओर जा रहा था, में बैठ गई. आधे रास्ते में पहुचने तक ही रात हो गई. उस ट्रक वाले की नीयत ख़राब हो गई. वो लड़की उस आदमी से बचने के लिए अकेली ही अंधेरे में भाग निकली. बहुत दूर जाने के बाद वो उस आदमी से बच 
निकली . आगे का रास्ता उसे मालूम नहीं था. इधर उधर भटकते हुए वो एक घर तक पहुंची. उस लड़की ने उस घर में जाके पूरी बात बताई और मदद मांगी, और बेनती की के उसे ब्यास पहुंचा दिया जाये. उस घर में एक रिटायर्ड फौजी अफ़सर रहता था जो उस वक़्त शराब पी रहा था. उसने कहाँ की में अपनी शराब छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा, मुझे इससे ज्यादा कोई काम जरुरी नहीं लगता, सुबह तुम्हे छोड़ दूंगा. लड़की ने बहुत मिन्नत की तो वो फौजी तैयार हो गया उसे रात की ही छोड़ के आने के लिए, पर उसने अपनी शराब की बोतल साथ ले ली रास्ते में पीने के लिए. जब वो ब्यास पहुँचे तो आदमी ने कहा की ब्यास आ गया है अब तुम सुरक्षित हो और आगे खुद चली जाओ. पर लड़की कहने लगी की मुझे अन्दर तक छोड़ दो. उस आदमी को पता था की ब्यास में शराब लेकर नहीं जा सकते, सो उसने अपनी शराब एक पेड़ के निचे गड्ढा खोद कर छुपा दी और डेरे में अन्दर चला गया उस लड़की को छोड़ने.
जब वो वापस आया तो देखा की बाबाजी उस पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. उसने पूछा की आप यहाँ क्या कर रहे है तो बाबाजी ने कहा की तुमने अपनी इतनी प्यारी चीज छोड़ के मेरे पास आने वाली लड़की की रक्षा की है , मेरे काम के लिए आये हो तो क्या में तुम्हारी चीज (शराब) की देखभाल नहीं करता? मेरा फ़र्ज़ है तुम्हारे सामान की रक्षा करना इसलिए मैं यहाँ पहरा दे रहा था. ये बात सुनकर उस आदमी की आँखों में आंसू आ गये और वो भी संतमत पर चलने लगा और उसने शराब छोड़ दी.

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